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Thursday, September 6, 2007

ज़िंदगी है छोटी, हर पल में ख़ुश रहो...


ज़िंदगी है छोटी, हर पल में ख़ुश रहो...
ऑफीस मे ख़ुश रहो, घर में ख़ुश रहो...
आज पनीर नही है, दाल में ही ख़ुश रहो...
आज जिम जाने का समय नही, दो क़दम चल के ही ख़ुश रहो...
आज दोस्तो का साथ नही, टीबी देख के ही ख़ुश रहो...
घर जा नही सकते तो फोन कर के ही ख़ुश रहो...
आज कोई नाराज़ है, उसके इस अंदाज़ में भी ख़ुश रहो...
जिसे देख नही सकते उसकी आवाज़ में ही ख़ुश रहो...
जिसे पा नही सकते उसकी याद में ही ख़ुश रहो
लॅपटॉप ना मिला तो क्या, डेस्कटोप में ही ख़ुश रहो...
बीता हुआ कल जा चुका है, उससे मीठी यादें है, उनमे ही ख़ुश रहो...
आने वाले पल का पता नही... सपनो में ही ख़ुश रहो...
हसते हसते ये पल बिताएँगे, आज में ही ख़ुश रहो
ज़िंदगी है छोटी, हर पल में ख़ुश रहो....................... :)

भय ही प्रबल है।

दो उल्लू एक वृक्ष पर आ कर बैठे। एक ने साँप अपने मुँह में पकड़ रखा था।  दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था।  दोनों जैसे ही वृक्ष पर पास-पास आकर बैठे।...