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Wednesday, February 26, 2020

शिक्षा तू भी काम न आई....

क्या शिक्षित क्या अशिक्षित आज सभी एक ही कतार में लगें है.  सुना था शिक्षा बहुत से अंतर पैदा कर देती है सोच में समझ में और रोज़ मर्रा के कामो के करने के तरीके में, पर जैसे खाना, पीना या निष्कासन नहीं बदला जा सकता, वैसे ही संगती के असर को भी नहीं बदला जा सकता, यहाँ शिक्षा तू भी काम नहीं आती. मनुष्य इतना असहाय हो जाता है की संगती का प्रभुत्व उसे उसकी समझ से ऊपर उठने नहीं देता. गलत सही का भेद भुला कर मनुष्य अमानवीय कर्मो और आसुरी प्रवृत्ति की ओर अग्रसर हो जाता है. भेद भाव, अमीर गरीब, हिंदू मुसलमान, आदमी औरत, काला गोरा, आप भाजपा की दुहाई देने लगता है, अपनी अपनी राय बना आपस में ही लड़ने लगता है, अपना अच्छा और दूसरे का बुरा उसे खूब आकर्षित करता है. यही काम अगर अनपढ़ करे तो हम एक बार को नासमझ समझ कर पचा सकते है पर अगर पढ़ा लिखा, अनुभवी, विद्वान पुरुष यह कृत्य करे तो हम सोचने पे मजबूर हो जाते है की                    - शिक्षा तू भी काम न आई....... 


भय ही प्रबल है।

दो उल्लू एक वृक्ष पर आ कर बैठे। एक ने साँप अपने मुँह में पकड़ रखा था।  दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था।  दोनों जैसे ही वृक्ष पर पास-पास आकर बैठे।...