Pages

Monday, March 25, 2019

मतलबी दुनियाँ...!!!!

इस छड़ीक सी दुनिया में,
जहा समय है कितना पता नहीं,
सब लोग लगे, धन खाने में,
है पता, कफ़न में जेब नहीं.

नहीं रहा रिश्ते का मोल कोई,
कोई प्यार नहीं, कोई मेल नहीं,
सब लगे है अपने अच्छे में,
कोई जिए, मरे ये फेर नहीं,

सब मानवता बस नाटक है,
अपनेपन का कोई जोर नहीं,
बस करो, भरो,  मेरा साया बनो,
प्रिये, वरना तुम मेरे प्रेम नहीं,

बस भर जाये ये पेट मेरा,
दावानल लगी है, इक्छा की,
तुम मर जाओ, तुम कट जाओ,
इस सबकी मुझको चिंता नहीं.,

मेरा मतलब बस मेरा है,
तेरा मतलब बर्दास्त नहीं,
जब तक मैं बोलू सुना करो,
तेरा सुनना मुझे रास नहीं.

है आज जमाना ऐसा ही,
सब लगे है बस अपने ही लिए,
बस माँ और बाप, दो प्राणी है,
जिनको बदले का मोह नहीं..!

    - अमित कुमार श्रीवास्तव 

Friday, March 8, 2019

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

तू माँ है, तू बहना 
तू मोती , तू गहना !
तू पत्नी, तू बेटी 
हर दुःख तू हर लेती !
तू दोस्त, तू साथी 
हर पल एक महारथी !
तू शिक्षक, तू पालक 
आजीवन संचालक  !
तू कर्ता , तू ही कर्मी 
तू ही दुर्गा, तू लक्ष्मी !
नमन है शत शत बारम्बार 
तुम्हे मुबारक आज का वार !!
  
   - अमित कुमार श्रीवास्तव

भय ही प्रबल है।

दो उल्लू एक वृक्ष पर आ कर बैठे। एक ने साँप अपने मुँह में पकड़ रखा था।  दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था।  दोनों जैसे ही वृक्ष पर पास-पास आकर बैठे।...