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Monday, September 21, 2015

The Name which means a Lot for me...

Name: Aavya

Meaning : First rays  of Sun, Gift of God 

Numerology : 5

Syllables : 2.5

Religion : Hindu

Rashi : Mesha (A, L, E, I, O)

Nakshatra : Krithika (A, Ee, U, EA, I, E)


Name: Aadhya

Meaning :First power , Name of Goddess Durga.

Syllables :2.5

Numerology :22

Religion :Hindu

Rashi :Mesha (A, L, E, I, O)

Nakshatra :Krithika (A, Ee, U, EA, I, E)


Wednesday, September 16, 2015

Tere Ishq Me....!!!!!!

कभी अल्फ़ाज़ भूल जाउ, कभी ख़याल भूल जाउ 
तुझे इस कदर चाहू के अपनी साँस भूल जाउ 
उठ कर तेरे पास से जो मैं चल दू, तो जाते हुए खुद को तेरे पास भूल जाउ 

अब उनकी मोहब्बत में ये आलम आ गया, 

ठंडी हवा का झोंका भी हमे जला गया, 
कहता है आप यहा तरसते ही रह गये, 
मैं तुम्हारे सनम को छु कर आ गया 

साथ अगर दोगे तो मुस्कराएँगे ज़रूर, 
प्यार अगर दिल से करोगे तो निभाएँगे ज़रूर 
राह मे कितने भी काँटे क्यू ना हो, 
आवाज़ अगर दिल से दोगे तो आएँगे ज़रूर. 

मेरी कलम से लफ्ज़ खो गये शायद, आज वो भी बेवफा हो गये शायद, 
जब नींद खुली तो पलकों मे पानी था,  मेरे ख्वाब मुझ पे ही रो गये शायद 

मुझे भी अब नींद की तलब नहीं रही,  अब रातों को जागना अच्छा लगता हैं, 
मुझे न्ही मालूम वो मेरी किस्मत मे हैं की नही,  मगर उसे खुदा से माँगना अच्छा ल्गता है. 

हर शख्स से उलफत का इक़रार नही होता, 
हर चेहरे से दिल को कभी प्यार नही होता 
जो रूह को छ्छू जाए, जो दिल मे उतार जाए 
उसी से इश्क़ का लफ़्ज़ों में इज़हार नही होता.. 

सासे थम सी जाती हैं पर जान नही जाती, 
दर्द होता हैं पर आवाज़ नहीं आती, 
अजीब से लोग हैं इस दुनिया में,
कोई भूल नही पता तो किसी को याद नही आती 

क़ातिल तेरी अदाओं ने लूटा हैं, 
मुझे तेरी जफ़ाओं ने लूटा हैं, 
शौक नही था मुझे मर मिटने का 
साकी नशीली निगाहों ने लूटा हैं, 
बिखरी हैं खुश्बू तेरी साँसों की, 
मुझ को तो इन हवाओं ने लूटा है, 
चैन से भला कैसे सो सकता हूँ, 
रातों को तेरे खवाबों ने लूटा है 
बहुत खूब हैं तेरे हुस्न की आडया, 
चाँदनी को तूने चंदा से लूटा है.

 वो इनकार करते हैं इकरार के लिए, 
नफ़रत भी करते हैं तो प्यार के लिए, 
उल्टी चाल चलते है ये इश्क़ करने वाले 
आँखें बंद करते हैं दीदार के लिए 

खुदा बिना जाने केसे रिश्ते बना देता हैं 
अंजाने लोगो को दिल में बसा देता हैं, 
जिन्हे हम कभी जानते भी ना थे, 
उन्हे जान से भी ज़्यादा कीमती बना देता है 

सब भूल जाता हू आपके सिवा,  ये क्या मुझे हुआ हैं 
क्या इसी एहसास को दुनिया ने , प्यार का नाम दिया हैं. 

क्या खोया क्या पाया....

जिंदगी की उथल पुथल, उहा पोह में मैंने क्या खोया क्या पाया का हिसाब रखना तो थोड़ा मुश्क़िल है पर नामुमकिन नहीं, आज बस बैठे बैठे मन में विचार उठा की हिसाब लगाया जाये किसकी जीत हुई? 
खोने की या पाने की । .... 
तो जीवन के आरम्भ से ही गिनती शुरू करते है। पैदा हुआ तो उससे पहले ही दादी को खो दिया पर ईश्वर ने बहुत प्यारी नानी दी जिन्होंने दादी की भी कमी कभी खलने नहीं दी। 
थोड़ा बड़ा हुआ तो अपना प्यारा गाँव खोया, पापा की नौकरी के कारण पर वही बदले में सारी सुख सुविधाओ से सुसज्जित शहर मिला, जिसने अच्छी तालीम और मॉर्डन संस्कार दिए। 
फिर पढाई में उन्नति और बेहतर भविष्य के लिए स्कूल बदलने में दोस्तों को खोया पर नए स्कूलों में और अधिक दोस्तों को पाया भी।
पापा की नौकरी और किराये के मकान में रहने की कारण, बहुत से मोहल्ले बदले, दोस्त खोये पडोसी खोये पर फिर वही नये मिले भी।
भविष्य बनाने का समय आया, अब जब की मैं अपने परिवार को एक दिशा दे सकता था तो, एक अनहोनी घटना में, पापा के एक्सीडेंट के कारण परिवार की आय बंद होने से, महत्वपूर्ण जीवन के २ सालो को खो दिया, अब इसका पूरक कुछ नहीं था।     
बमुश्किल देर से इंजीनियरिंग कॉलेज में गया तो अपने पापा को ही खो दिया, जिनके होने से ही हमारा वजूद था, उनके बिना हम जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे, पूरा भविष्य अंधकारमय हो गया, आय के एकमात्र स्रोत मेरे पापा इस दुनिया से चले गए थे मेरे जीवन का सबसे बड़ा खोना मेरी अल्पायु में ही ईश्वर ने मेरे नसीब में लिख दिया था, अब इस खोने का पूरक भी मिलना मुश्किल था पर वही मैंने ३ नए स्तम्भो को पाया जिनके सहारे मैंने उठना सीखा, सर्वोपरि मेरे मामा, मेरे नाना और मेरे ताउजी, जिन्होंने न केवल धन से अपितु अपने प्यार दुलार, देखभाल और मेरी जिम्मेदारियों को अपना बना के मुझे हर तरफ से मुक्त किया की मैं अपना और साथ ही साथ अपने परिवार का भविष्य बना सकु।
कॉलेज में दोस्त तो मिले ही, साथ साथ दोस्तों में नए परिवार मिले, जिन्होंने ४ सालों तक मुझे टूटने और बिखरने नहीं दिया, हर हाल में मेरा साथ दिया और उन्नति के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया. पाने की लिस्ट बहुत लम्बी है यहाँ जहा मैं खाली हाथ पहुंचा और झोली भर के वापस आया ज्ञान की, दोस्तों की, परिवार की, सुनहरे भविष्य की, अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर लेने के विश्वास की। बस खोया तो २ अपनों का विश्वास, शायद हमारी सोच में अंतर था जो आखरी वक़्त में मेल नहीं खाई फिर समय नहीं मिला सुधारने का। 
फिर सुनहरे भविष्य की कामना मुझे नए नए शहरों में भटकारी रही, नए लोग मिलते रहे पुराने बिछड़ते रहे. रूड़की शहर ने मुझे एक नया परिवार दिया, कुछ कर गुजरने का आत्म बल दिया, उत्थान की पहली पायदान पे चढ़ना सिखाया, बदले में खोया अपना बचपन, वो लड़कपन भरी मासूमियत, वो साफ़ और सच्चा हृदय, जो की अब मजबूत हो चूका था समय के थपेड़ो के साथ, ठोकर खाते खाते।
दिल्ली दिलवालो की, सौ टका सत्य वचन, जीवन के इस पायदान पे मुझे दिल्ली में एक स्थायी स्थान मिला, जिसने ना सिर्फ मेरी कैरियर रूपी खोज को आयाम दिया, अपितु मेरी जिम्मेदारियों को भी पूर्ण विराम लगाने में मेरी भरपूर सहायता की। खोया पाया की लिस्ट यहाँ थोड़ी लम्बी है, क्यूकी पिछले ११ बरसो का लेखा जोखा तैयार करना पढ़ेगा। 
यहाँ सबसे बड़ी उपलब्थि मेरी, मेरे परिवार को अपने पास लाने की रही, साथ ही मैं अपनी उन जिम्मेदारियों से उरिड हुआ जो मेरे पापा मुझ पर छोड़ गए थे, माँ को मैंने वो उचित स्थान दिलवाया जिसकी वो हमेशा से हकदार थी, अपना खुद का घर पाया, परिवार पाया, दो प्यारी प्यारी बेटियों का प्यार पाया। बहुत सारे नए रिश्तो को सौगात पाई, जीवन में सुदृढ़ता आई। 
खोया, हाँ इन सब को पाने में, इन ११ सालो में मैंने बहुत कुछ खोया भी, मैंने अपनो को खोया, अपनों का प्यार, विश्वास को खोया, अपनो का साथ भी खोया।  मेरे नाना इस संसार को, हम सबको छोड़ कर चले गए, मेरे ताउजी अपनी पारिवारिक परेशानियों में फँस कर हमसे दूर हो गये. जीवन की तेज़ रफ़्तार में कुछ बिछोह ऐसे भी है की उसमे कौन सही है कौन गलत का विचार करने का समय नहीं, पर हा फिर भी संतुस्ती है की मेरी तरफ से मैंने कोई कमी कही होने नहीं दी, अपने चादर से ज्यादा ही पैर फैला के जिम्मेदारियों का वहन किया।
अंततः यही सत्य है "जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबहो शाम", "जिंदगी के सफर में गुजर जाते है जो मुकाम, वो फिर नहीं आते", "जिंदगी कैसी है पहेली हाये, कभी तो हसाये कभी ये रुलाये", "आदमी मुशाफिर है, आता है जाता, आते जाते रस्ते में, यादें छोड़ जाता है।"
जो पाया वो साथ है, जो खोया वो यादो में मेरे साथ है और हमेशा साथ रहेगा..... 

भय ही प्रबल है।

दो उल्लू एक वृक्ष पर आ कर बैठे। एक ने साँप अपने मुँह में पकड़ रखा था।  दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था।  दोनों जैसे ही वृक्ष पर पास-पास आकर बैठे।...