Pages

Tuesday, August 11, 2015

जीवन जीने के बहाने...

बहुत पहले एक हिन्दी गाना बहुत प्रसिद्ध हुआ था, " जीने के बहाने लाखो है, जीना तुझको आया ही नहीं, कोई भी तेरा हो सकता था, कभी तूने अपनाया ही नही. " इसका अर्थ आज मुझे अच्छी तरह से समझ में आ गया। 

सच ही कहा है ये जीवन जीने के लिए हमें हमेशा ही बहानो की जरुरत पड़ती ही, जिससे की हम अपने जीवन को सार्थक सिद्ध कर सके,  अन्यथा बेमानी जीवन जीने से क्या फायदा जिसका कोई औचित्य ही न हो?

बिना किसी उद्देश्य के कोई लम्बे समय तक, खाली जी भी नहीं सकता। सभी जानते है पैदा होते ही जीवन सबकी उम्मीदों और आकांक्षाओं पर निर्भर होने लगता है, अब करवट लेना है, अब बैठना है, फिर खड़े हो कर बोलना और चलना है, फिर तो माँ पिता की आँखों का तारा बनना है, खूब पढ़ना और आगे बढ़ाना है. 

माँ , पिता भी सीमा निर्धारित करते रहते है और उसको और जटिल से जटिल बनाते रहते है, ये झलावा दे कर की बस आगे तो आराम ही आराम है. 

पढ़ लिख गए तो अब थोड़ा कमा भी लो, अब यहाँ से हमारी खुद की भी इक्छाये और उम्मीदे जवान होने लगाती है, कहे तो जीने के नए नए बहाने बनने और मिलने लगते है. अब कमाना ही है तो सबसे अच्छा क्यों नहीं?

हम खुद ही सोचने लगते है, की ऐसा काम करे की अथाह संपत्ति के स्वामी बने, खूब पैसा हो की घर, परिवार, पड़ोस, दोस्त और "गर्लफ्रेंड" सभी खुश, आश्चर्यचकित और रंज करे. 

यहाँ "गैलफ्रैण्ड" शब्द का प्रयोग करना बेमानी नहीं है, आजकल सभी चाहते है और रखते भी है. यही शब्द लड़की के सन्दर्भ में "बॉयफ्रेंड" में बदल जाता है. अतः इनको प्रभावित करना हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य बन कर सामने आता है जीवन जीने का. 

इस सुनहरे ख्वाब के साथ जितना अच्छा समय कट गया जीवन का अच्छा था, इसके उपरांत कहानी शुरू गृहस्थ जीवन की, गृहस्थ जीवन वो कभी न खत्म होने वाला टास्क है, आप जितना उसमे घुसते जाओगे उतने ही नए नए बहाने रोज़ आपको मिलते रहेंगे जीवन जीने के. 

पत्नी की ख़ुशी, उसका प्यार, घर की व्यवस्था, फिर बच्चे, उनका प्यार, लालन  पालन, पढाई, लक्ष्य ही लक्ष्य। 

सो इतने सारे बहनो के साथ जीवन के अंत तक मनुष्य फसा रहता ही जीवन के ताने बाने में, और सच भी है ये जो अंततः हमें संतोष भी देता है फिर कोई कैसे बिमुख हो सकता है इन सब क्रिया कलापो से, अगर सच में वो खुद को एक जिम्मेदार और फर्ज से युक्त मानता है.

उपरोक्त लिखने का मेरा तातपर्य बस इतना है की आपका जीवन बहुत ही अमूल्य है,  कभी माता पिता के लिए, कभी खुद लिए, फिर आपके प्यार और बच्चो  लिए, सो इसे व्यर्थ न जाने दे, ऐसे कार्य करे की सभी आपसे खुश और संतुष्ट हो, जिससे अंत काल में आप भी शांति और संतोष के साथ इस अमूल्य जीवन को विदा कर पाये। 

[आस पड़ोस में घटित कुछ घटनाओं से व्यथित दिल की पुकार, जिसने मुझे अंदर तक झिंझोड़ के रख दिया]

No comments:

भय ही प्रबल है।

दो उल्लू एक वृक्ष पर आ कर बैठे। एक ने साँप अपने मुँह में पकड़ रखा था।  दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था।  दोनों जैसे ही वृक्ष पर पास-पास आकर बैठे।...