सभी अपनी अपनी इज्ज़त के प्यारे है, पर ये
दूसरों के लिए नहीं सोचते, खुद बड़े हुए तो ठीक दूसरा बड़ा है
उसकी कोई अहमियत नहीं। अपने आप को सब कुछ चाहिए दूसरे को कुछ मिले या न मिले उसकी
परवाह नहीं, ये दक़ियानूसी खयालात ले के कोई कब तक जी सकता
है।
खुद जियो और दूसरे को भी जीने दो, ये बस
सुनने सुनाने के लिए रह गया है। खुद तो मजे मे जी लो दूसरे की जिंदगी हराम कर दो, आजकल सब इसी फिराक मे रहते है। कहते है न खाली दिमाग शैतान का घर, एक दम सही कहा गया है, नहीं कुछ काम मिले तो सबको
लड़वा के देख लो, जैसा की लोग पहले किया कराते थे। पहले लोग
मुर्गा लड़ाते थे आज कल लोगो को लड़ा के मज़ा लेते है।
चाहो की सब कुछ छोड़ छाड़ कर अकेले जियो तो
भी जीने नहीं देते, हज़ारो रास्ते तलाश कर ही लेते है परेशान करने के, हम नहीं तो हमारे निकट सम्बंधी ही सही, कही से भी
हमारे जीवन मे प्रवेश कर ही लेते है और फिर शुरू उत्पात मचाना। ये भी नहीं सोचते
की उनकी इन सब हरकतों से दूसरों के जीवन मे क्या उथल पुथल हो जाएगी।
ऐसे लोगो को सिर्फ अपने से मतलब होता है, खुद
से प्यार करते है और दूसरों से प्यार करने का दिखावा भी गजब का करते है, काम पड़ा तो आप ही भगवान है इनके नहीं तो आप शैतान से भी कही बढ़ कर है
इनके लिए। काम निकालो, लात मारो बस यही एक मात्र लक्ष्य है
इनके जीवन का।
इनकी कुछ भी याद करने की छमता तो इतनी
कमजोर होती है की, चंद पलो मे ही आपके उपकार या मदद को भुला कर आपको गाली देने
पे उतारू हो जाए, पुराने किसी गलती को निकाल कर या नई मनगढ़ंत
बना कर, फिर झट से पलट भी जाए अगर लगे की अरे अभी तो काम
पड़ने वाला है।