ए जिंदगी तू इतनी नरक क्यू
है (स्वर्ग
का उल्टा)
हमेशा दिल में रहती एक कसक
क्यू है (कमी का
अहसास)
हर दम कुछ पाने की ठरक क्यू
है (तीव्र
इक्छा)
हाथों से तू रोज थोड़ी जाती
सरक क्यू है (फिसल)
मेरी हकीकत मेरे सपनों से
फरक क्यू है (अंतर)
समय, जीवन का सबसे बड़ा हरक
क्यू है (अपहरण करने
वाला , चोर)
दूसरों को देख वैसा बनने की परक
क्यू है (किसी
दूसरे शरीर में प्रवेश कराने की क्रिया या भाव)
हर कोई दूसरे की जिंदगी का चरक
क्यू है (गुप्तचर,
जासूस, भेदिया, दूत)
चाय हमेशा लगती फीकी बिन अदरक
क्यू है
आज का शिव केवल मदिरा का धारक
क्यू है (धारण करने वाला)
काम पड़े सब आधे-अधूरे कोई
मिलता नहीं पूरक क्यू है (पूरा
करने वाला)
राम जैसा रत्न जड़ित खोया वो हीरक
क्यू है (हीरा
नामक रत्न)
ढूढने से भी नहीं मिलता हमको
कोई तारक क्यू है (तारने वाला)
सोशल मीडिया, टीवी , सिनेमा
रिश्तों का मारक क्यू है (मारने
वाला)
धर्म जाती जनता में फ़ैला
घृणा वितारक क्यू है (बाँटने
वाला)
हर व्यक्ति बस बन कर बैरी
अपना विस्तारक क्यू है (फैलने वाला)
अब नहीं बनते निस्वार्थ
प्यार के अडिग स्मारक क्यू है (यादगार जगह)
सबको बस हर समय चाहिए उत्साह
उर्वरक क्यू है (बढ़ाने
वाला)
मिल जाते मिट्टी में रिश्ते,
जल के छारक क्यू है (भस्म, राख, खारा नमक)
कोई नहीं है इस दुनिया में
रोग निवारक क्यू है (निवारण
करने वाला)
आज का मानव मैली, कुचली, दूषित
दुर्भावना का प्रेरक क्यू है (प्रेरित करने वाला)
करता नहीं दिल से है कोई कभी
मुबारक क्यू है (शुभ)
कोई जो सब करे व्यवस्थित
नहीं विचारक क्यू है (विचार
करने वाला)
जनता बदली देश है बदला ,
स्वयं संहारक क्यू है (संहार
करने वाला)
जिसको देखो बना है बैठ सबका का
सुधारक क्यू है
नेता, जनता, अभिनेता, सब
धर्म प्रचारक क्यू है
कुर्सी पर बैठा सिर्फ अपने कर्म का प्रसारक क्यू है
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