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Tuesday, November 21, 2017

जिंदगी बहुत छोटी है....

आज एक माँ को रोते बिलखते देखा, जो बेचारी ये समझ ही नहीं पा रही थी की रोना कैसे है, इतने भाव थे उसके मन मे वो समझ ही नहीं पा रही थी की व्यक्त कैसे करना है, उसकी हालत कभी एक जिंदा लाश जैसी थी, तो कभी उस पागल जैसी जो समझ ही नहीं पाता परिस्थिति और हालात को।

एक लड़का जिसे 14 सालों तक सीने से लगा कर पाला , पल भर मे पराया हो गया था, सफ़ेद कपड़ो मे लिपटा दूर पड़ा था जिसे छूना भी माँ को नसीब नहीं हो रहा था, जिसे नाजो से पाला , महंगे महंगे कपड़ो मे हमेशा राजकुमार की तरह सजाया, आज मामूली सी चादर मे लिपटा, चमक दमक से कोसो दूर, कही खो सा गया था।
 
वो बहन जो भाई, भाई की आवाज लगाए नहीं थकती थी, अपनी हर छोटी से छोटी जरूरतों मे , आज दूर बैठी इसी इंतज़ार मे थी कोई उसे भी बताए क्या हुआ, मेरा भाई क्यू नहीं आ रहा मेरे पास, क्यू वो दूर चुप चाप लेटा है, सफ़ेद कपड़ो मे लिपटा, क्या वो अब मेरी बात नहीं सुनेगा, मेरे साथ हमेशा नहीं चलेगा। बेचारी एक टक निरीह आखो से बस सब कुछ होते हुए देख रही थी, माँ की बेबसी और पिता की लाचारी मे वो खुद को भी बहुत  असहाय महसूस कर रही थी।
 
पिता चाह कर भी रो नहीं पा रहा था, बेचारा अभी भी काम के बोझ तले दबा पड़ा था, खुद को संभाले के सबको, इसी ऊहा पोह मे बस लाल आंखो से सब कुछ चुप चाप किए जा रहा था, रह रह कर हो रही अव्यवस्थाओ से उसका पारा चड़ता पर यह सोच कर चुप हो जाता क्या करे सब कुछ तो खो दिया उसने अब किसके लिए लड़े।
 
सगे संबंधी, दोस्त पड़ोसी सभी देखभाल मे , व्यवस्थावों मे लगे थे, पर क्या कोई इतना सगा है जो उसके नुकसान की भरपाई कर पाता, सब शांतवाना दे रहे है, पर उस माँ, पिता की असली दुख, स्थिति को कोई नहीं समझ सकता, कैसे कटेगा ये जीवन उस लाडले की बिना, जो उनकी हर सांस मे समाया था, जिसके होने के एहसास मात्र से दिन और रात होते थे, जो जीने की उम्मीद था, अब उसके बिना कैसा जीवन।
 
सब सिखाते है, जीवन नस्वर है, दुनिया बेमानी है, किसी से उम्मीद मत रखो, किसी से प्यार मत करो, कब कौन किसे कहा छोड़ के चला जाए नहीं पता, सब अपना समय काट के चले जाते है, पता सबको है पर कैसे समझाये इस दिल को, कैसे न करे हम किसी से प्यार, कैसे...
 
कहते है समय सब भर देता है, शायद सही भी है, भर दिया मेरा जीवन , मेरे पापा के जाने के बाद, पर उनकी वो कमी तो आज तक कोई पूरी नहीं कर पाया, आज भी मैं उन्हे अपने सपनों मे पाता हूँ, मेरे साथ पाता हूँ जैसे वो कही गए ही नहीं, हा पर जिन कमियो मे उन्होने जीवन बिताया , उन कमियो को दूर न कर पाने का मलाल मुझे आज भी है, माँ को वो सब देना चाहता हूँ, देता हूँ पर फिर भी वो संतुस्टी नहीं मिलती जो शायद पापा को देने पे मिलती।
 
तो इन माँ पिता को क्या होगा जीवन तो अब नहीं भरेगा ईनका, जो हमेशा के लिए खाली हो गया, वो कैसे काटेंगे दिन,  लड़का जो चला गया, बेटी शायद खामोश हो गई हमेशा के लिए, हर एक पल, हर याद तीर की तरह खाव करेंगी कलेजे मे।
 
सच भगवान भी क्या क्या नहीं दिखाता इंसान को इस छोटी सी जिंदगी मे, क्या करे खुशियो का, समेटे, बटोरे, सँजोये, लुटाये या बस इसी तरह जिंदगी को खोते और काटते जाए?

Useful Social Manners

1.Only call someone twice in a row unless it's urgent. If they don't answer, wait for them to call back. They might be busy, sick, o...