आपका अपना काम, समय, पैसा, व्यवहार कोई मायने नहीं रखता आपकी जिम्मेदारियों के सामने।
आपका ऑफिस है छुट्टी ले लो, आपको काम है छोड़ दो, आपको आराम करना है चल पड़ो, आपको खर्च नही करना पर पैसा बहा दो, तबियत खराब है कोई फर्क नहीं पड़ता, समय नही है फिर भी बर्बाद करो, कितना कोई हिसाब नही अगर आप जिम्मेदार है तो, वरना भाग जाओ ऐश करो किसी की कोई जवाबदेही नही, कोई आपसे उम्मीद भी नही रखेगा। जिम्मेदार होने पे उम्मीदें हजारों और पुरस्कार कोई नही, कही कुछ गलत हुआ तो तिरस्कार थाली में सजा के मिलता है।
कुछ लोग खुसनसीब होते है जिनकी जिम्मेदारियां लेने के लिए या साझा करने के लिए उनसे बड़े आगे पीछे रहते है, मेरे साथ तो वो भी नही, किसी का साथ, किसी का हाथ नही, और जो साथ खड़े हो सकते थे, उन्होंने भी बंधन तोड़ दिए, मुंह मोड़ लिए। किसी से कोई ख्वाइश, उम्मीद या आशा नही , जो करना है अकेले, जीना है अकेले। मैं खुश हूं, कोई शिकवा या गिला नहीं अगर मेरे अपने मुझसे दूर रहकर भी खुश है, मजे में है और संतुष्ट है। बड़े होने और जिम्मेदार होने का यही मतलब होता हैं शायद, और मैं, मैं तो जिम्मेदार हूं।