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Sunday, April 29, 2018

हम बस जिए जा रहे है.........!!!!!!

इधर कुछ दिनों से जीवन में पॉजिटिव बदलाव बहुत हो रहे है, तो कई बार सोचा लिखू इनके बारे में, पर समय की कमी या शब्दों के आभाव के कारण लिख नहीं पाया, पता नहीं जब सब कुछ अच्छा होने लगता है, तो दिल इतना डरने और घबराने क्यों लगता है.
एक अजीब सी उलझन हो रही है, जो होनी नहीं चाहिए, सच ही कहा है या मैंने देखा भी है जीवन में जिसके पास जितना ज्यादा है, वो उतना ही ज्यादा डरपोक भी हो जाता है, डरता है वो सब कुछ खो देने से, ऊपर से जब की कोई और हो ही ना आप का बना बनाया संभालने के लिए, मन हमेशा भटकता रहता है. 
Ivy के नर्सरी दाखिले के समय से जो परेशानी, उलझन मैंने पाल रखी थी, वो अब जा कर समाप्त हुई है, फिर भी दिल बेचैन है. 
कहा कहा नहीं कोशिश की मैंने, एक लम्बी लिस्ट है मेरी सफलता और असफलताओ की, बावजूद इसके अंत में सब कुछ मेरे मन मुताबिक, मेरे मेहनत का फल, मुझे प्राप्त हो ही गया. जो सपना देखा पूरा हुआ, एक कड़ी अभी और जुड़नी है, पर उसका उतना मलाल न होगा अगर नहीं भी हुआ, दोनो बहने तो अब सालो साल साथ रहेंगी, एक बहुत ही अच्छे स्कूल में, कुछ बनना या न बनाना अब उनके हाथ में है, मैं एक आधार उपलब्ध करा सकता हु, हर मोड़ पे उनके साथ खड़ा हो सकता हूँ. 
ज़माने, माहौल, लोगो को देख कर तो यही लगता है, मैंने जो किया बेस्ट किया है अपनी बेटियों के लिए. 
अब मेरा जीवन भी एक ठहराव चाहता है, बहुत ज्यादा भाग दौड़ नहीं करना चाहता , जितना है उसी में एक सफल, सुखी, और तमन्नाओ से परिपूर्ण जीवन जीना चाहता है.
कहावतें जो मैं हमेशा सुनता था, देर आये दुरुस्त आये, मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है,  कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती, हम हमेशा हारते है एक बहुत बड़ी सफलता पाने के लिए, सब इ १००% सच हुई मेरे केस में. 
कितनी जगह मैंने असफलताओ के कड़वे घूंट पिए, कुछ को खुद ही छोड़ दिया देर से ही पर बहुत अच्छे पाने की उम्मीद में,  पहली बार जीवन में मैंने रिस्क लिया, कठिनाइयाँ सही, मैंने भी और पुरे परिवार ने भी. अब तक सब पाने के लिए किया, अब उसको संभाल कर रखने के लिए करना पड़ेगा. 
पर हां अब मैं इस जीवन को समेटने की कोशिश करूँगा, यही एक मात्रा लक्छ्य होगा मेरा. कुछ काम अभी भी अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे है, उन पर भी ध्यान देना है. 
बहुत मुश्किल होता है अकेले सब सहना, करना, जब पता है कोई नहीं है साथ खड़ा होने वाला. पर क्या करे करना है, अपनो के लिए, उनके सपनो के लिए. साथ साथ अपने भी सपनो को आकार मिलेगा, बस यही उम्मीद ये जीवन जीने का हौशला देती ही और हम जिए जा रहे है. 

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दो उल्लू एक वृक्ष पर आ कर बैठे। एक ने साँप अपने मुँह में पकड़ रखा था।  दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था।  दोनों जैसे ही वृक्ष पर पास-पास आकर बैठे।...