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Friday, March 9, 2007

कैसे बताऊं मैं तुम्हे..???


कैसे बताऊं मैं तुम्हे?
मेरे लिए तुम कौन हो?, कैसे बताऊं?
कैसे बताऊं मैं तुम्हे
तुम धड़कनों का गीत हो, जीवन का तुम संगीत हो
तुम ज़िंदगी तुम बंदगी, तुम रोशनी तुम ताज़गी
तुम हैर ख़ुशी तुम प्यार हो, तुम प्रीत हो मनमीत हो....!
आँखों में तुम यादों में तुम, साँसों में तुम आहों में तुम
नींदों में तुम ख्वाबों में तुम
तुम हो मेरी हर बात में, तुम हो मेरे दिन रात में
तुम सुबाह में तुम शाम में, तुम सोच में तुम काम में......!
मेरे लिए पाना भी तुम, मेरे लिए खोना भी तुम
मेरे लिए हासना भी तुम, मेरे लिए रोना भी तुम
और जागना सोना भी तुम जाऊं कहीं देखूं कहीं
तुम हो वहाँ तुम हो वहीं कैसे बताऊं मैं तुम्हे?, तुम बीन तो मैं कुछ भी नहीं
कैसे बताऊं मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो?
ये जो तुम्हारा रूप है ये ज़िंदगी की धूप है
चंदन से तराशा है बदन, बहती है जिस में एक अगन
ये शोखियाँ ये मस्तियाँ, तुमको हवाओं से मिली
ज़ूल्फें घटाओं से मिली होंठों में कालियाँ खिल गयी आँखों को झीले मिल गयी
चेहरे में सिमटी चाँदनी, आवाज़ में है रागिनी
शीशे के जैसा अंग है फूलों के जैसा रंग है
नदियों के जैसी चाल है क्या हुस्न है क्या हाल है
ये जिस्म की रंगीनियाँ जैसे हज़ारों तितलियाँ
बाहों की ये गोलाईयाँ, आँचल में ये पार्चछाइयाँ
ये नगरियाँ है ख्वाब की, कैसे बताऊं मैं तुम्हे, हालत दिल-ए-बेताब की
कैसे बताऊं मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो? कैसे बताऊं, कैसे बताऊं
कैसे बताऊं मैं तुम्हे?
मेरे लिए तुम धरम हो, मेरे लिए ईमान हो
तुम ही इबादत हो मेरी, तुम ही तो चाहत हो मेरी
तुम ही मेरा अरमान हो ताकता हूँ मैं हर पल जिससे, तुम ही तो वो तस्वीर हो
तुम ही मेरी तक़दीर हो, तुम ही सीतारा हो मेरा तुम ही नज़ारा हो मेरा
यू ध्यान में मेरे हो तुम, जैसे मुझे घेरे हो तुम
पूरब में तुम पश्चिम में तुम, उतर में तुम दक्षिण में तुम
सारे मेरे जीवन में तुम, हर पल में तुम हर छिन में तुम
मेरे लिए रास्ता भी तुम, मेरे लिए मंज़िल भी तुम
मेरे लिए सागर भी तुम, मेरे लिए साहिल भी तुम
मैं देखता बस तुमको हो, मैं सोचता बस तुमको हूँ
मैं जानता बस तुमको हूँ, मैं मानता बस तुमको हूँ
तुम ही मेरी पहचान हो कैसे बताऊं मैं तुम्हे देवी हो तुम मेरे लिए मेरे लिए भगवान
हो कैसे बताऊं मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो?
कैसे.............?

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