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Monday, March 25, 2019

मतलबी दुनियाँ...!!!!

इस छड़ीक सी दुनिया में,
जहा समय है कितना पता नहीं,
सब लोग लगे, धन खाने में,
है पता, कफ़न में जेब नहीं.

नहीं रहा रिश्ते का मोल कोई,
कोई प्यार नहीं, कोई मेल नहीं,
सब लगे है अपने अच्छे में,
कोई जिए, मरे ये फेर नहीं,

सब मानवता बस नाटक है,
अपनेपन का कोई जोर नहीं,
बस करो, भरो,  मेरा साया बनो,
प्रिये, वरना तुम मेरे प्रेम नहीं,

बस भर जाये ये पेट मेरा,
दावानल लगी है, इक्छा की,
तुम मर जाओ, तुम कट जाओ,
इस सबकी मुझको चिंता नहीं.,

मेरा मतलब बस मेरा है,
तेरा मतलब बर्दास्त नहीं,
जब तक मैं बोलू सुना करो,
तेरा सुनना मुझे रास नहीं.

है आज जमाना ऐसा ही,
सब लगे है बस अपने ही लिए,
बस माँ और बाप, दो प्राणी है,
जिनको बदले का मोह नहीं..!

    - अमित कुमार श्रीवास्तव 

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