कोई अपने घर में दिया यूँ जलाये
कि उसका उजाला मेरे घर में आये || 
लपेटे है मुझको उदासी लता सी
उदासी है छायी हृदय पर घटा सी
कोई अपने घर इस तरह गुनगुनाये
कि आवाज उसकी मेरे घर में आये || 
नहीं ज्ञात मुझको कि मधुमास क्या है
नहीं ज्ञात है पुष्प की बास क्या है
कोई फूल जूड़े में  ऐसे  सजाये
कि खुशबु हवा से मेरे घर में आये || 
अकेला पड़ा हूँ मै छोटे से  घर में
हूँ अजनबी इस  अनोखे शहर में
कोई अपना घर इस तरह भूल जाये
कि अपना समझ कर  मेरे घर में आये  ||
कोई अपने घर में दिया यु जलाये.......