ना समझे कोई की, मैं क्यों लगने लगा जुदा हूँ,
कैसे कहु मैं तुमसे, की मैं ख़फ़ा हूँ.
बिन जाने, अनजाने या, फिर जानबूझकर
तुमने बोला, कहा, किया मुझे पराया,
ये भी न सोचा , ये भी न जाना,
मैं हूँ वही जिसने, तुमसे तुमको ही चुराया.
हार गया मैं खुद से ही आज, जब से जानी तेरी बातें,
भूल गया तू, कटती नहीं थी एकदूजे बिन ये रातें।
कह दिया जो मन में आया, झूठा , सच्चा या बेमानी,
क्या गलती थी मेरी इसमें, जो हमने ना स्वप्न में जानी.
मिला लिया औरो को भी, अपनी इस करतूत में,
जिनको दिया दिल, और रखा था, हमने अपने ताज पे
कुछ भी करो तुम, रह लो कही तुम
हम है वही और वही रहेंगे, जो भागे एक आवाज पे
अच्छा नहीं की मुझे गिरा कर, तुम ऊँचे बन जाओगे
कहा जाओगे , जहाँ जाओगे, अंत में मुझे बुलाओगे
क्या शाबित करना था तुमको, बुरा बना कर मुझे अंत में
भूल गए थे क्या तुम जीवन, बड़ा पड़ा है इस अनंत में।
हद होती है खुदगर्ज़ी की, हद होती है मनमर्जी की
समय छड़ीक है सुंदरता का, और छड़ीक अभिमान का
बड़ा बड़प्पन और संयम है, जो मैं मुझमे लिए हूँ
कैसे कहु मैं तुमसे, की मैं ख़फ़ा हूँ.
- अमित (बड़े दिल वाला)
कैसे कहु मैं तुमसे, की मैं ख़फ़ा हूँ.
बिन जाने, अनजाने या, फिर जानबूझकर
तुमने बोला, कहा, किया मुझे पराया,
ये भी न सोचा , ये भी न जाना,
मैं हूँ वही जिसने, तुमसे तुमको ही चुराया.
हार गया मैं खुद से ही आज, जब से जानी तेरी बातें,
भूल गया तू, कटती नहीं थी एकदूजे बिन ये रातें।
कह दिया जो मन में आया, झूठा , सच्चा या बेमानी,
क्या गलती थी मेरी इसमें, जो हमने ना स्वप्न में जानी.
मिला लिया औरो को भी, अपनी इस करतूत में,
जिनको दिया दिल, और रखा था, हमने अपने ताज पे
कुछ भी करो तुम, रह लो कही तुम
हम है वही और वही रहेंगे, जो भागे एक आवाज पे
अच्छा नहीं की मुझे गिरा कर, तुम ऊँचे बन जाओगे
कहा जाओगे , जहाँ जाओगे, अंत में मुझे बुलाओगे
क्या शाबित करना था तुमको, बुरा बना कर मुझे अंत में
भूल गए थे क्या तुम जीवन, बड़ा पड़ा है इस अनंत में।
हद होती है खुदगर्ज़ी की, हद होती है मनमर्जी की
समय छड़ीक है सुंदरता का, और छड़ीक अभिमान का
बड़ा बड़प्पन और संयम है, जो मैं मुझमे लिए हूँ
कैसे कहु मैं तुमसे, की मैं ख़फ़ा हूँ.
- अमित (बड़े दिल वाला)