SN | NamE | Date of Birth | AGE |
1 | Mrs. Mumtaz Begum | 7-Apr-1923 | 101 |
2 | Mrs. Kamini Kaushal | 16-Jan-1927 | 97 |
3 | Mr. Gulzar | 18-Aug-1934 | 89 |
4 | Mrs. Kalpana Kartik | 19-Sep-1931 | 92 |
5 | Mr. Anandji Virji Shah | 2-Mar-1933 | 91 |
6 | Mrs. Asha Bhonsle | 8-Sep-1933 | 90 |
7 | Mr. Madhavan Nair (Madhu) | 23-Sep-1933 | 90 |
8 | Mr. Achyut Potdar | 22-Aug-1934 | 89 |
9 | Mr. Shyam Benegal | 14-Dec-1934 | 89 |
10 | Mr. Prem Chopra | 23-Sep-1935 | 88 |
11 | Mr. Salim Khan | 24-Nov-1935 | 88 |
12 | Mr. Dharmendra | 8-Dec-1935 | 88 |
13 | Mrs. Waheeda Rehman | 14-May-1936 | 88 |
14 | Mrs. Shushma Seth | 20-Jun-1936 | 88 |
15 | Mrs. Vyjayanthimala | 13-Aug-1936 | 87 |
16 | Mrs. Mala Sinha | 11-Nov-1936 | 87 |
17 | Mr. Biswajit Deb Chatterjee | 14-Dec-1936 | 87 |
18 | Mr. Manoj Kumar | 24-Jul-1937 | 86 |
19 | Mr. Ram Sethi | 15-Nov-1938 | 85 |
20 | Mrs. Helen | 21-Nov-1939 | 84 |
21 | Mr. Bharat Kapoor | 1-Jan-1940 | 84 |
22 | Mr. K.J. Yesudas | 10-Jan-1940 | 84 |
23 | Mrs. Shubha Khote | 20-Mar-1940 | 84 |
24 | Mr. Govind Nihalani | 19-Aug-1940 | 83 |
25 | Mr. Asrani | 1-Jan-1941 | 83 |
26 | Mr. Sanjay Khan | 3-Jan-1941 | 83 |
27 | Mr. Roshan Seth | 2-Apr-1942 | 82 |
28 | Mr. Jeetendra | 7-Apr-1942 | 82 |
29 | Ms. Asha Parekh | 2-Oct-1942 | 81 |
30 | Mr. Amitabh Bachchan | 11-Oct-1942 | 81 |
31 | Mr. Arun Bali | 23-Dec-1942 | 81 |
32 | Mrs. Tanuja Mukherjee | 23-Sep-1943 | 80 |
33 | Mrs. Saira Banu | 23-Aug-1944 | 79 |
34 | Mr. Parikshit Sahni | 3-Sep-1944 | 79 |
35 | Mrs. Rajshree | 8-Oct-1944 | 79 |
36 | Mr. Kulbhushan Kharbanda | 21-Oct-1944 | 79 |
37 | Mr. Amol Palekar | 24-Nov-1944 | 79 |
38 | Mrs. Sharmila Tagore | 8-Dec-1944 | 79 |
39 | Mrs. Anjana Bhowmick | 30-Dec-1944 | 79 |
40 | Mr. Javed Akhtar | 17-Jan-1945 | 79 |
41 | Mr. Subhash Ghai | 24-Jan-1945 | 79 |
42 | Mr. Rajendra Gupta | 22-Feb-1945 | 79 |
43 | Mrs. Surekha Sikri | 19-Apr-1945 | 79 |
44 | Mr. Mohan Joshi | 4-Sep-1945 | 78 |
45 | Mrs. Aparna Sen | 25-Oct-1945 | 78 |
46 | Mr. Shekhar Kapoor | 6-Dec-1945 | 78 |
47 | Mr. Shatrughan Sinha | 9-Dec-1945 | 78 |
48 | Ms. Anju Mahendru | 11-Jan-1946 | 78 |
49 | Mr. Kabir Bedi | 16-Jan-1946 | 78 |
50 | Mr. Benjamin Gilani | 20-Mar-1946 | 78 |
51 | Mr. Sudhir Dalvi | 6-Apr-1946 | 78 |
52 | Mr. Ranjeet | 12-Nov-1946 | 77 |
53 | Mr. Suresh Oberoi | 17-Dec-1946 | 77 |
54 | Mr. Randhir Kapoor | 15-Feb-1947 | 77 |
55 | Mr. Mahendra Sandhu | 18-Apr-1947 | 77 |
56 | Mr. Ashok Saraf | 4-Jun-1947 | 77 |
57 | Mr. Mohan Agashe | 23-Jul-1947 | 76 |
58 | Mrs. Mumtaz | 31-Jul-1947 | 76 |
59 | Mr. S.M. Zaheer | 5-Jul-1947 | 77 |
60 | Mrs. Raakhee Gulzar | 15-Aug-1947 | 76 |
61 | Ms. Simi Garewal | 17-Oct-1947 | 76 |
62 | Mrs. Usha Uthup | 7-Nov-1947 | 76 |
63 | Mr. Danny Denzongpa | 25-Feb-1948 | 76 |
64 | Mrs. Jaya Bhaduri Bachchan | 9-Apr-1948 | 76 |
65 | Mrs. Babita | 20-Apr-1948 | 76 |
66 | Mr. Anjan Srivatsav | 2-Jun-1948 | 76 |
67 | Ms. Sulakshana Pandit | 12-Jul-1948 | 75 |
68 | Mr. Anant Nag | 4-Sep-1948 | 75 |
69 | Mr. Mahesh Bhatt | 20-Sep-1948 | 75 |
70 | Mrs. Hema Malini | 16-Oct-1948 | 75 |
71 | Mr. Raj Kiran | 5-Feb-1949 | 75 |
72 | Mrs. Padma Khanna | 10-Mar-1949 | 75 |
73 | Mrs. Farida Jalal | 14-Mar-1949 | 75 |
74 | Mr. Kanwarjit Paintal alis Paintal | 22-Apr-1949 | 75 |
75 | Mr. Rakesh Roshan | 6-Sep-1949 | 74 |
76 | Mr. Mithun Chakraborty | 16-Jun-1950 | 74 |
77 | Mr. Anil Dhawan | 27-Nov-1950 | 73 |
मेरा जीवन मेरी बातें....... अब कहने को बहुत कुछ है... जीवन भी इतना लंबा गुज़ार चुका हू अब तक, पर आप बस उतना ही जाने जितना आप एंजोय कर सके और कुछ उपयोगी, सोचने योग्य तथ्य.
Here Few interesting Moments of my life and some valuable stuff for you all...
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Friday, July 5, 2024
Monday, July 1, 2024
Monday, March 18, 2024
भय ही प्रबल है।
दो उल्लू एक वृक्ष पर आ कर बैठे। एक ने साँप अपने मुँह में पकड़ रखा था।
दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था।
दोनों जैसे ही वृक्ष पर पास-पास आकर बैठे। एक के मुँह में साँप, एक के मुँह में चूहा।
साँप ने चूहे को देखा तो वह यह भूल ही गया कि वह उल्लू के मुँह में है और मौत के करीब है। चूहे को देख कर उसके मुँह में रसधार बहने लगी। वह भूल ही गया कि मौत के मुँह में है। उसको अपनी जीवेषणा ने पकड़ लिया।
और चूहे ने जैसे ही देखा साँप को, वह भयभीत हो गया, वह काँपने लगा। ऐसे ही मौत के मुँह में फसा है, मगर साँप को देख कर काँपने लगा।
वे दोनों उल्लू बड़े हैरान हुए।
एक उल्लू ने दूसरे उल्लू से पूछा कि भाई, इसका कुछ राज समझे ?
दूसरे ने कहा, बिलकुल समझ में आया।
जीभ की, रस की, स्वाद की इच्छा इतनी प्रबल है कि सामने मृत्यु खड़ी हो तो भी दिखाइ नही पड़ती।
और यह भी समझ में आया कि भय मौत से भी बड़ा है: मौत सामने खड़ी है, उससे यह भयभीत नहीं है चूहा, लेकिन भय से भयभीत है कि कहीं साँप हमला न कर दे।'
निष्कर्ष -
मौत से हम भयभीत नहीं हैं, हम भय से ज्यादा भयभीत हैं।
और लोभ स्वाद का, इंद्रियों का, जीवेषणा का इतना प्रगाढ़ है कि मौत चौबीसों घंटे खड़ी है, तो भी हमें दिखाई नहीं पड़ती।
हम अंधे बने हुये हैं।
पूरी जिंदगी की यही सच्चाई है कि हम सभी काल के मुख में फसे हुए हैं किंतु अपने इंद्रियों के वसीभूत होकर लोभ रस की, स्वाद की इच्छा, तृष्णा, वासना इतनी प्रबल रखते हैं कि भूल जाते हैं कि मौत सामने खड़ी है और कब उसका निवाला बन जाए।
Friday, March 8, 2024
तुम्हें मुबारक महिला दिवस
बहुत मुबारक, महिला दिवस
ए,
महिलाओ, मेरे जीवन की,
शांत पड़े, मेरे जीवन मे
भूचाल, बवंडर लाने की,
नीरस से, इस दैनिक पल मे
हर
एक रस, मिलाने की,
कड़वा, मीठा, खट्टा, खारा
पल पल, भर भर, पिलाने की,
रंग भी होते है, दुनिया मे
ये
अहसास, कराने की,
बदल, बदल कर, रंग हजारों
सब अवगत, करवाने की,
पल मे माशा, पल मे तोला
बदल
बदल, भरमाने की,
खुशियां, आँसू, दुख और चिंता
देने की, ले जाने की,
पैसे से, खुशिया नहीं मिलती
हर
दिन, ये समझाने की,
आज दिया, कल फिर कुछ देना
क्या मजाल, भूल जाने की,
गर भूले तो, माह पाप है
खेलूँगी
होली, बरसने की,
खाली घर को आकर भरना
भर भर के, तड़पाने की,
सब छूट गए, सब टूट गए
केवल
खुद से, जुड़ जाने की,
चैन गया , सुकून गया अब
सज़ा, पास तुम्हें, लाने की,
इंकछा गई, मन मार लिया
बस,
एक तमन्ना, तुम्हें पाने की,
धन, दौलत सब लूटा रहे
कोशिश, तुझे, खुश, कर जाने की,
मना रहे बस, तेरा दिवस ही
हर
पल, हर वर्ष, छोड़ चिंता, जमाने की,
तुम्हें मुबारक, महिला दिवस
ओ, महिलाओ, मेरे जीवन की।
-
अमित कुमार श्रीवास्तव
Friday, February 23, 2024
सबसे बड़ी सम्पत्ति
एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया।
वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि बैल काफी बूढा हो चूका था अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।
किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया, सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही बैल कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा और फिर, अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।
सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे, तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया. अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह बैल एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था, वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।
जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढी ऊपर चढ़ आता जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह बैल कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया ।
ध्यान रखे आपके जीवन में भी बहुत तरह से मिट्टी फेंकी जायेगी बहुत तरह की गंदगी आप पर गिरेगी जैसे कि, आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही आपकी आलोचना करेगा, कोई आपकी सफलता से ईर्ष्या के कारण आपको बेकार में ही भला बुरा कहेगा, कोई आपसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो आपके आदर्शों के विरुद्ध होंगे.
ऐसे में आपको हतोत्साहित हो कर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हर तरह की गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख ले कर उसे सीढ़ी बनाकर बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है।
सकारात्मक रहे सकारात्मक जिए!
इस संसार में सबसे बड़ी सम्पत्ति *"बुद्धि "*, सबसे अच्छा हथियार *"धैर्य"*, सबसे अच्छी सुरक्षा *"विश्वास"*, सबसे बढ़िया दवा *"हँसी"* है और आश्चर्य की बात कि *"ये सब निशुल्क हैं "*
Thursday, January 25, 2024
ऐसा क्यू है
ए जिंदगी तू इतनी नरक क्यू
है (स्वर्ग
का उल्टा)
हमेशा दिल में रहती एक कसक
क्यू है (कमी का
अहसास)
हर दम कुछ पाने की ठरक
क्यू है (तीव्र
इक्छा)
हाथों से तू रोज थोड़ी जाती
सरक क्यू है (फिसल)
मेरी हकीकत मेरे सपनों से
फरक क्यू है (अंतर)
समय, जीवन का सबसे बड़ा हरक
क्यू है (अपहरण करने
वाला , चोर)
दूसरों को देख वैसा बनने
की परक क्यू है (दूसरे शरीर में प्रवेश करने ka भाव)
हर कोई दूसरे की जिंदगी का
चरक क्यू है (गुप्तचर,
जासूस, भेदिया, दूत)
चाय हमेशा लगती फीकी बिन अदरक
क्यू है
आज का शिव केवल मदिरा का धारक
क्यू है (धारण करने वाला)
काम पड़े सब आधे-अधूरे कोई
मिलता नहीं पूरक क्यू है (पूरा
करने वाला)
राम जैसा रत्न जड़ित खोया
वो हीरक क्यू है (हीरा नामक रत्न)
ढूढने से भी नहीं मिलता
हमको कोई तारक क्यू है (तारने वाला)
सोशल मीडिया, टीवी ,
सिनेमा रिश्तों का मारक क्यू है (मारने
वाला)
धर्म जाती जनता में फ़ैला
घृणा वितारक क्यू है (बाँटने
वाला)
हर व्यक्ति बस बन कर बैरी
अपना विस्तारक क्यू है (फैलने वाला)
अब नहीं बनते निस्वार्थ
प्यार के अडिग स्मारक क्यू है (यादगार जगह)
सबको बस हर समय चाहिए
उत्साह उर्वरक क्यू है (बढ़ाने
वाला)
मिल जाते मिट्टी में
रिश्ते, जल के छारक क्यू है (भस्म, राख,
खारा नमक)
कोई नहीं है इस दुनिया में
रोग निवारक क्यू है (निवारण
करने वाला)
आज का मानव मैली, कुचली, दूषित
दुर्भावना का प्रेरक क्यू है (प्रेरित करने वाला)
करता नहीं दिल से है कोई
कभी मुबारक क्यू है (शुभ)
कोई जो सब करे व्यवस्थित
नहीं विचारक क्यू है (विचार
करने वाला)
जनता बदली देश है बदला ,
स्वयं संहारक क्यू है (संहार
करने वाला)
जिसको देखो बना है बैठ सबका
का सुधारक क्यू है
नेता, जनता, अभिनेता, सब
धर्म प्रचारक क्यू है
कुर्सी पर बैठा सिर्फ अपने
कर्म का प्रसारक क्यू है
Sunday, June 18, 2023
पिता भी जरूरी
बिन कहे जो समझ जाए
बिन मांगे जो दे जाएहमारी एक मुस्कान पे लूट जाए
हमारे एक आंसू पे बिखर जाए
साथ हो तो सारा जहान अपना
देने पे आए तो आसमान अपना
आशीर्वाद से उसके हर मुकाम अपना
प्यार से महके उसके गुलिस्तान अपना
खुद रहे भूखा की भर दे पेट हमारा
तन पे उसके एक ही कपड़ा, कपड़ो का अंबार हमारा
तमन्नाये अपनी बुझा दी, जला इक्छादीप हमारा
फिक्र नहीं खुद के अंधेरों की, भरे हमारे जीवन में उजियारा
समझने वाले समझ गए होंगे
मैं किसकी बात करता हूं
नहीं दोस्तो भ्रम न करना
मैं आज मां नही, बाप बाप करता हूं
कम नहीं पिता का भी योगदान, हमारे जीवन में
की त्यागा उसने भी है, अपना हर मुकाम जीवन में
मना के मां का दिन हम उसको तबज्जो खूब देते है
चलो आज पिता दिन मना, कमी को दूर करते है।
- अमित कुमार श्रीवास्तव
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The Elephant Rope As a man was passing the elephants, he suddenly stopped, confused by the fact that these huge creatures were being...
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S ooner or later the itch begins. You can't help but feel it's time to make that job switch. The reasons could be varied: monetary,...