बहुत मुबारक, महिला दिवस
ए,
महिलाओ, मेरे जीवन की,
शांत पड़े, मेरे जीवन मे
भूचाल, बवंडर लाने की,
नीरस से, इस दैनिक पल मे
हर
एक रस, मिलाने की,
कड़वा, मीठा, खट्टा, खारा
पल पल, भर भर, पिलाने की,
रंग भी होते है, दुनिया मे
ये
अहसास, कराने की,
बदल, बदल कर, रंग हजारों
सब अवगत, करवाने की,
पल मे माशा, पल मे तोला
बदल
बदल, भरमाने की,
खुशियां, आँसू, दुख और चिंता
देने की, ले जाने की,
पैसे से, खुशिया नहीं मिलती
हर
दिन, ये समझाने की,
आज दिया, कल फिर कुछ देना
क्या मजाल, भूल जाने की,
गर भूले तो, माह पाप है
खेलूँगी
होली, बरसने की,
खाली घर को आकर भरना
भर भर के, तड़पाने की,
सब छूट गए, सब टूट गए
केवल
खुद से, जुड़ जाने की,
चैन गया , सुकून गया अब
सज़ा, पास तुम्हें, लाने की,
इंकछा गई, मन मार लिया
बस,
एक तमन्ना, तुम्हें पाने की,
धन, दौलत सब लूटा रहे
कोशिश, तुझे, खुश, कर जाने की,
मना रहे बस, तेरा दिवस ही
हर
पल, हर वर्ष, छोड़ चिंता, जमाने की,
तुम्हें मुबारक, महिला दिवस
ओ, महिलाओ, मेरे जीवन की।
-
अमित कुमार श्रीवास्तव
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