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Friday, March 8, 2024

तुम्हें मुबारक महिला दिवस

बहुत मुबारक, महिला दिवस

ए, महिलाओ, मेरे जीवन की,

शांत पड़े, मेरे जीवन मे

भूचाल, बवंडर लाने की,

नीरस से, इस दैनिक पल मे

हर एक रस, मिलाने की,

कड़वा, मीठा, खट्टा, खारा

पल पल, भर भर, पिलाने की,

रंग भी होते है, दुनिया मे

ये अहसास, कराने की,

बदल, बदल कर, रंग हजारों

सब अवगत, करवाने की,

पल मे माशा, पल मे तोला

बदल बदल, भरमाने की,

खुशियां, आँसू, दुख और चिंता

देने की, ले जाने की,

पैसे से, खुशिया नहीं मिलती

हर दिन, ये समझाने की,

आज दिया, कल फिर कुछ देना

क्या मजाल, भूल जाने की,

गर भूले तो, माह पाप है

खेलूँगी होली, बरसने की,

खाली घर को आकर भरना

भर भर के, तड़पाने की,

सब छूट गए, सब टूट गए

केवल खुद से, जुड़ जाने की,

चैन गया , सुकून गया अब

सज़ा, पास तुम्हें, लाने की,

इंकछा गई, मन मार लिया

बस, एक तमन्ना, तुम्हें पाने की,

धन, दौलत सब लूटा रहे

कोशिश, तुझे, खुश, कर जाने की,

मना रहे बस, तेरा दिवस ही

हर पल, हर वर्ष, छोड़ चिंता, जमाने की,    

तुम्हें मुबारक, महिला दिवस

ओ, महिलाओ, मेरे जीवन की।

-    अमित कुमार श्रीवास्तव

Thursday, December 22, 2022

आज की नारी, सब पर भारी

नारी तू है शक्तिशाली, नही किसी से कम
नही अकेली है बलशाली, तुझमें अटूट है दम

तू है दुर्गा, तू ही अंबे, तू है माता काली
सारे जग में नाम करे तू, निडर घूम डाली डाली

कदम से कदम मिला कर चलना, कभी नही तू डरना,
क्या मजाल कोई कुछ भी बोले, जो चाहे वो करना

तू ही माता, तू ही बहना, तू ही बेटी प्यारी
तू ही सिखाए, प्यार करे और सींचे क्यारी क्यारी

पड़े जरूरत डांट के बोल तू, तेज़ आवाज़ में भारी
नही समय अब दबने का है, तू है आज की नारी

कुछ भी तू बन सकती है, तू कुछ भी कर सकती है
तुझमें साहस, तुझमें शक्ति, तुझमें महिमा बसती है

तान के चल तू सीना अपना, सर को नही झुकाना
नई रीत है, नया दौर, नारी का नया जमाना

जीत है तेरी पक्की अब तो, सारी दुनिया हारी 
कर विश्वास निकल रस्ते पे, ठान ले, कर जंग जारी

इंदिरा बन, प्रतिभा बन तू, बन रजिया, लक्ष्मी संहारी 
जान ले अब तू आज की नारी, है तू सब पर भारी


                            अमित कुमार श्रीवास्तव

भय ही प्रबल है।

दो उल्लू एक वृक्ष पर आ कर बैठे। एक ने साँप अपने मुँह में पकड़ रखा था।  दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था।  दोनों जैसे ही वृक्ष पर पास-पास आकर बैठे।...