Wo mama ka ghar, wo garmi ki chhuttiya
Wo maigi, wo mango, wo pant khol chicken khana
Wo amrud ke ped, wo nana ka gussa
Wo nani ki lori, wo mami ka dular
Wo mama ka padhana, wo mausi ka pyar
Wo badapan ka ahsaa, wo chhoto se ladna aur mar.
Bahut yaad aate hai bachapan ke din
Jab sochate hai akele, bhai bahano ke bin
मेरा जीवन मेरी बातें....... अब कहने को बहुत कुछ है... जीवन भी इतना लंबा गुज़ार चुका हू अब तक, पर आप बस उतना ही जाने जितना आप एंजोय कर सके और कुछ उपयोगी, सोचने योग्य तथ्य.
Here Few interesting Moments of my life and some valuable stuff for you all...
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Saturday, December 14, 2019
Friday, December 13, 2019
मैं ख़फ़ा हूँ.......
ना समझे कोई की, मैं क्यों लगने लगा जुदा हूँ,
कैसे कहु मैं तुमसे, की मैं ख़फ़ा हूँ.
बिन जाने, अनजाने या, फिर जानबूझकर
तुमने बोला, कहा, किया मुझे पराया,
ये भी न सोचा , ये भी न जाना,
मैं हूँ वही जिसने, तुमसे तुमको ही चुराया.
हार गया मैं खुद से ही आज, जब से जानी तेरी बातें,
भूल गया तू, कटती नहीं थी एकदूजे बिन ये रातें।
कह दिया जो मन में आया, झूठा , सच्चा या बेमानी,
क्या गलती थी मेरी इसमें, जो हमने ना स्वप्न में जानी.
मिला लिया औरो को भी, अपनी इस करतूत में,
जिनको दिया दिल, और रखा था, हमने अपने ताज पे
कुछ भी करो तुम, रह लो कही तुम
हम है वही और वही रहेंगे, जो भागे एक आवाज पे
अच्छा नहीं की मुझे गिरा कर, तुम ऊँचे बन जाओगे
कहा जाओगे , जहाँ जाओगे, अंत में मुझे बुलाओगे
क्या शाबित करना था तुमको, बुरा बना कर मुझे अंत में
भूल गए थे क्या तुम जीवन, बड़ा पड़ा है इस अनंत में।
हद होती है खुदगर्ज़ी की, हद होती है मनमर्जी की
समय छड़ीक है सुंदरता का, और छड़ीक अभिमान का
बड़ा बड़प्पन और संयम है, जो मैं मुझमे लिए हूँ
कैसे कहु मैं तुमसे, की मैं ख़फ़ा हूँ.
- अमित (बड़े दिल वाला)
कैसे कहु मैं तुमसे, की मैं ख़फ़ा हूँ.
बिन जाने, अनजाने या, फिर जानबूझकर
तुमने बोला, कहा, किया मुझे पराया,
ये भी न सोचा , ये भी न जाना,
मैं हूँ वही जिसने, तुमसे तुमको ही चुराया.
हार गया मैं खुद से ही आज, जब से जानी तेरी बातें,
भूल गया तू, कटती नहीं थी एकदूजे बिन ये रातें।
कह दिया जो मन में आया, झूठा , सच्चा या बेमानी,
क्या गलती थी मेरी इसमें, जो हमने ना स्वप्न में जानी.
मिला लिया औरो को भी, अपनी इस करतूत में,
जिनको दिया दिल, और रखा था, हमने अपने ताज पे
कुछ भी करो तुम, रह लो कही तुम
हम है वही और वही रहेंगे, जो भागे एक आवाज पे
अच्छा नहीं की मुझे गिरा कर, तुम ऊँचे बन जाओगे
कहा जाओगे , जहाँ जाओगे, अंत में मुझे बुलाओगे
क्या शाबित करना था तुमको, बुरा बना कर मुझे अंत में
भूल गए थे क्या तुम जीवन, बड़ा पड़ा है इस अनंत में।
हद होती है खुदगर्ज़ी की, हद होती है मनमर्जी की
समय छड़ीक है सुंदरता का, और छड़ीक अभिमान का
बड़ा बड़प्पन और संयम है, जो मैं मुझमे लिए हूँ
कैसे कहु मैं तुमसे, की मैं ख़फ़ा हूँ.
- अमित (बड़े दिल वाला)
Friday, December 6, 2019
मेरा देश बदल रहा है..
मेरा देश बदल रहा है, कुछ अच्छा हो रहा है.
अच्छे दिन आएंगे , अच्छे दिन आएंगे
सुना तो बहुत था, मगर यकीं नहीं था
लगा ये भी बस एक चुनावी सगूफा ही बन का रह जायेगा
मगर नहीं आज अच्छा दिन आया,
भले ही ये चुनावी वादा न हो,
भले ही किसी का पहले से तय इरादा न हो
पर कुछ हुआ, सोच बदली, देश बदला।
जय हो इन वीरो को, इनको सोच को
इनके किये काम को, पापियों के अंजाम को
अब नहीं खिलाएंगे, बिठा के जेल में,
जो कुछ भी होगा, जल्दी होगा.
घिनौनी सोच पे लगाम लगानी होगी
नहीं तो ऐसे ही चौराहे पे गोली खानी होगी
माँ, बहन , बेटी अब सुरक्छित होंगी.
सब पर कानून की अब कड़ी नजर होगी.
क्यों कुछ ही लोग इस करनी को अंजाम दे
क्यों नहीं न्याय व्यवस्था इसे अपना नाम दे
जब डर होगा, सीने में, भय होगा पीने में.
कोई नहीं निकलेगा , गलत राहों पे ,
बहुत सकूँ होगा जीने में,
- अमित
अच्छे दिन आएंगे , अच्छे दिन आएंगे
सुना तो बहुत था, मगर यकीं नहीं था
लगा ये भी बस एक चुनावी सगूफा ही बन का रह जायेगा
मगर नहीं आज अच्छा दिन आया,
भले ही ये चुनावी वादा न हो,
भले ही किसी का पहले से तय इरादा न हो
पर कुछ हुआ, सोच बदली, देश बदला।
जय हो इन वीरो को, इनको सोच को
इनके किये काम को, पापियों के अंजाम को
अब नहीं खिलाएंगे, बिठा के जेल में,
जो कुछ भी होगा, जल्दी होगा.
घिनौनी सोच पे लगाम लगानी होगी
नहीं तो ऐसे ही चौराहे पे गोली खानी होगी
माँ, बहन , बेटी अब सुरक्छित होंगी.
सब पर कानून की अब कड़ी नजर होगी.
क्यों कुछ ही लोग इस करनी को अंजाम दे
क्यों नहीं न्याय व्यवस्था इसे अपना नाम दे
जब डर होगा, सीने में, भय होगा पीने में.
कोई नहीं निकलेगा , गलत राहों पे ,
बहुत सकूँ होगा जीने में,
- अमित
*****_ JINDAGI_*****
Jindagi ka safar bhi ajeeb hota hai,
pal bhar me naseeb cheer cheer hota hai.
soocha hua gar ho jaye mumkeen,
samajha jao yaaro ye hona tha ek din.
nahi to kabhi kuch ka kuch hai ho jata,
soocha mila paya sab hai kho jata.
ye kismat ka khela koi bhi na sajha,
ho jaye man ka to samjho achha.
nahi to na roona ye kya ho raha hai,
honi ka yaaro tal kya saka hai.
--------Amit Kumar Shrivastava(02/05/2005)
Sharing from my old collections.
pal bhar me naseeb cheer cheer hota hai.
soocha hua gar ho jaye mumkeen,
samajha jao yaaro ye hona tha ek din.
nahi to kabhi kuch ka kuch hai ho jata,
soocha mila paya sab hai kho jata.
ye kismat ka khela koi bhi na sajha,
ho jaye man ka to samjho achha.
nahi to na roona ye kya ho raha hai,
honi ka yaaro tal kya saka hai.
--------Amit Kumar Shrivastava(02/05/2005)
Sharing from my old collections.
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें… ????
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….
मेरे लिये तुम कौन हो……
कैसे बताऊँ !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
तुम धड्कनॊं का गीत हो,
जीवन का संगीत हो!
तुम जिन्दगी, तुम बन्दगी !
तुम रोशनी, तुम ताजगी!
तुम हर खुशी, तुम प्यार हो !
तुम प्रीत हो, मनमीत हो !
आँखों में तुम, यादों में तुम !
साँसों में तुम, आहों में तुम !
नींदों में तुम, ख्वाबों में तुम !
तुम हो मेरी हर बात में…
तुम हो मेरे दिन रात में !
तुम सुबह में तुम शाम में !
तुम सोच में तुम काम में !
मेरे लिये पाना भी तुम !
मेरे लिये खोना भी तुम !
मेरे लिये हँसना भी तुम !
मेरे लिये रोना भी तुम !……… और जागना सोना भी तुम !!!
जाऊँ कहीं देखूँ कहीं…
तुम हो वहाँ…तुम हो वहीं !
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें…….. तुम बिन तो मैं कुछ भी नहीं !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम कौन हो !!!
ये जो तुम्हारा रूप है…ये जिन्दगी की धूप है !
चन्दन से तरसा है ये बदन …बहती है ईसमें एक अगन !
ये शोखियाँ ये मस्तियाँ …. तुमको हवाओं से मिली !
जुल्फ़ें घटाओं से मिली !
होठों में कलियाँ खिल गयीं….. आखों को झीलें मिल गयीं !
चेहरे में सिमटी चाँदनी….. आवाज में है रागिनी !
शीशे के जैसा अंग है…फ़ूलों के जैसा रंग है !
नदियों के जैसी चाल है… क्या हुस्न है ..क्या हाल है !!!
ये जिस्म की रंगीनियाँ…… जैसे हजारों तितलियाँ !
बाहों की ये गोलाईयाँ…. आँचल में ये परछाईयाँ !!!
ये नगरियाँ हैं ख्वाब की…..कैसे बताऊँ मैं तुम्हें..हालत दिल – ऎ – बेताब की !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम कौन हो !!!
कैसे बताऊँ….कैसे बताऊँ….
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम धरम हो !!!
मेरे लिये ईमान हो !
तुम ही ईबादत हो मेरी…… तुम ही तो चाहत हो मेरी !
तुम ही अरमान हो मेरा !
तकता हूँ मैं हर पल जिसे.. वही तो तस्वीर हो तुम.
तुम ही मेरी तकदीर हो.
तुम ही सितारा हो मेरा…. तुम ही नजारा हो मेरा.
यूँ ध्यान में मेरे हो तुम..जैसे मुझे घेरे हो तुम.
पूरब में तुम, पश्चिम में तुम!!!….उत्तर में तुम, दक्षिण में तुम !!!
सारे मेरे जीवन में तुम.
हर पल में तुम…हर छिन में तुम !!!
मेरे लिये रस्ता भी तुम…. मेरे लिये मन्जिल भी तुम.
मेरे लिये सागर भी तुम..मेरे लिये साहिल भी तुम.
मैं देखता बस तुमको हूँ….मैं सोचता बस तुमको हूँ.
मैं जानता बस तुमको हूँ… मैं मानता बस तुमको हूँ.
तुम ही मेरी पहचान हो…!!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें…. देवी हो तुम मेरे लिये.
मेरे लिये भगवान हो !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम कौन हो !!!
कैसे……….. ????
- दिल के करीब - फ्रॉम - एल्बम : वजूद (1998)
घटना परिचय -
एक बार खुद को, इसी मक़ाम पे पाया था
बार बार मन में, यही ख्वाब दोहराया था.
डरते थे कहने को तो, इसका ही सहारा था,
खुद का कुछ नहीं तो, "वजूद" का किनारा था।
हम भी "नाना" थे और "माधुरी" का साया था,
ख्वाब बड़े हसीं थे, हमने जिन्हे अपनाया था.
दोस्तों का साथ था, और जवानी का आलम,
साल बीते, दोस्त बिछड़े, हमको मिला बालम।
अब कह नहीं सकते, जवानी की बातें,
बाँट नहीं सकते कैसे कटी रातें।
समझ के बचपन, जो माफ़ करे भूले,
ऐसा नहीं हमदम, जो हमको फिर क़बूले।
- अमित (मीतू का)
मेरे लिये तुम कौन हो……
कैसे बताऊँ !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
तुम धड्कनॊं का गीत हो,
जीवन का संगीत हो!
तुम जिन्दगी, तुम बन्दगी !
तुम रोशनी, तुम ताजगी!
तुम हर खुशी, तुम प्यार हो !
तुम प्रीत हो, मनमीत हो !
आँखों में तुम, यादों में तुम !
साँसों में तुम, आहों में तुम !
नींदों में तुम, ख्वाबों में तुम !
तुम हो मेरी हर बात में…
तुम हो मेरे दिन रात में !
तुम सुबह में तुम शाम में !
तुम सोच में तुम काम में !
मेरे लिये पाना भी तुम !
मेरे लिये खोना भी तुम !
मेरे लिये हँसना भी तुम !
मेरे लिये रोना भी तुम !……… और जागना सोना भी तुम !!!
जाऊँ कहीं देखूँ कहीं…
तुम हो वहाँ…तुम हो वहीं !
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें…….. तुम बिन तो मैं कुछ भी नहीं !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम कौन हो !!!
ये जो तुम्हारा रूप है…ये जिन्दगी की धूप है !
चन्दन से तरसा है ये बदन …बहती है ईसमें एक अगन !
ये शोखियाँ ये मस्तियाँ …. तुमको हवाओं से मिली !
जुल्फ़ें घटाओं से मिली !
होठों में कलियाँ खिल गयीं….. आखों को झीलें मिल गयीं !
चेहरे में सिमटी चाँदनी….. आवाज में है रागिनी !
शीशे के जैसा अंग है…फ़ूलों के जैसा रंग है !
नदियों के जैसी चाल है… क्या हुस्न है ..क्या हाल है !!!
ये जिस्म की रंगीनियाँ…… जैसे हजारों तितलियाँ !
बाहों की ये गोलाईयाँ…. आँचल में ये परछाईयाँ !!!
ये नगरियाँ हैं ख्वाब की…..कैसे बताऊँ मैं तुम्हें..हालत दिल – ऎ – बेताब की !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम कौन हो !!!
कैसे बताऊँ….कैसे बताऊँ….
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम धरम हो !!!
मेरे लिये ईमान हो !
तुम ही ईबादत हो मेरी…… तुम ही तो चाहत हो मेरी !
तुम ही अरमान हो मेरा !
तकता हूँ मैं हर पल जिसे.. वही तो तस्वीर हो तुम.
तुम ही मेरी तकदीर हो.
तुम ही सितारा हो मेरा…. तुम ही नजारा हो मेरा.
यूँ ध्यान में मेरे हो तुम..जैसे मुझे घेरे हो तुम.
पूरब में तुम, पश्चिम में तुम!!!….उत्तर में तुम, दक्षिण में तुम !!!
सारे मेरे जीवन में तुम.
हर पल में तुम…हर छिन में तुम !!!
मेरे लिये रस्ता भी तुम…. मेरे लिये मन्जिल भी तुम.
मेरे लिये सागर भी तुम..मेरे लिये साहिल भी तुम.
मैं देखता बस तुमको हूँ….मैं सोचता बस तुमको हूँ.
मैं जानता बस तुमको हूँ… मैं मानता बस तुमको हूँ.
तुम ही मेरी पहचान हो…!!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें…. देवी हो तुम मेरे लिये.
मेरे लिये भगवान हो !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम कौन हो !!!
कैसे……….. ????
- दिल के करीब - फ्रॉम - एल्बम : वजूद (1998)
घटना परिचय -
एक बार खुद को, इसी मक़ाम पे पाया था
बार बार मन में, यही ख्वाब दोहराया था.
डरते थे कहने को तो, इसका ही सहारा था,
खुद का कुछ नहीं तो, "वजूद" का किनारा था।
हम भी "नाना" थे और "माधुरी" का साया था,
ख्वाब बड़े हसीं थे, हमने जिन्हे अपनाया था.
दोस्तों का साथ था, और जवानी का आलम,
साल बीते, दोस्त बिछड़े, हमको मिला बालम।
अब कह नहीं सकते, जवानी की बातें,
बाँट नहीं सकते कैसे कटी रातें।
समझ के बचपन, जो माफ़ करे भूले,
ऐसा नहीं हमदम, जो हमको फिर क़बूले।
- अमित (मीतू का)
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