Just for Laugh... :)
मेरा जीवन मेरी बातें....... अब कहने को बहुत कुछ है... जीवन भी इतना लंबा गुज़ार चुका हू अब तक, पर आप बस उतना ही जाने जितना आप एंजोय कर सके और कुछ उपयोगी, सोचने योग्य तथ्य.
Here Few interesting Moments of my life and some valuable stuff for you all...
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Friday, April 1, 2022
Tuesday, March 29, 2022
Eye Opening Truth
कई साल पहले की बात है. मेरे एक मित्र की दुकान पर एक सभ्य महिला बालों में लगाने के लिए एक छोटा सा clutcher लेने के लिए आई.
मेरे मित्र ने उसे एक clutcher निकाल कर दिखाया और उस महिला के द्वारा उस clutcher का मूल्य पूछने पर उसे 5 रुपये बताया.
Clutcher की बिना कोई जाँच परख किए वह महिला बोली क्या भैया कोई बढ़िया सा clutcher दिखाइए न.
मेरे मित्र ने उस clutcher को अंदर रखा और बिल्कुल वैसा ही दूसरा clutcher निकाल कर अपनी शर्ट पर रगड़ते हुए कहा लीजिए यह कोरियन clutcher है, एकदम लेटेस्ट और बढ़िया.
उस महिला ने clutcher अपने हाथ में लिया, उसे एक दो बार खोला और बंद किया और फिर बालों में लगाकर देखा और फिर उसका मूल्य पूछा.
मेरे मित्र ने उस महिला को 20 रुपये मूल्य बताया. उस महिला ने 2 clutcher लिए और पैसे देकर चली गई.
उन clutcher का सही मूल्य मात्र 36 रुपये दर्जन था जिसे कि मेरा ग्राहक 5 रुपये प्रति clutcher बेच रहा था.
उस महिला के द्वारा clutcher को देखे बिना मात्र 5 रुपये का होने के कारण तिरस्कार भाव से मना कर दिए जाने के कारण मेरे मित्र ने उसे 20 रुपये प्रति clutcher दिया.
जब मेरे मित्र ने यह बात मुझे बताई तो बोला कि जो औरतें सामान को केवल उसके कम मूल्य के आधार पर कम अच्छी क्वालिटी का आँकती हैं वो ज्यादातर सस्ती वस्तुएं महँगे मूल्य पर खरीद कर लाती हैं.
--Quora से साभार लिया गया
Thursday, March 24, 2022
मिशन कश्मीर
Wednesday, March 23, 2022
मुलाकात
Wednesday, March 16, 2022
Farewell Poem
become true and real when St. John's hire
elders blessings, youngers fondness
colleagues support was my true buttress
learning and teaching, teaching and learning
my whole day routine, even now in dreams
nine years spent in this process
never take rest or any recess
faith of ma'am and desire to grow
overcome all hurdles and confusion at throw
school is my destination, children are goal
their marks are my reward, that's my world whole
but the day has come when progress calling
I have to rise without stuck and never falling
gaining knowledge and make your way to progress
should be the only ultimate motive of every personage
thanks to all for making my way too smooth
I adore you all from my heart and its true
blessing you all and hope to receive the same
life needs to go on and every one has to play his own game
going to start a new journey with blessing of you all
you will all remember always, in spite of spring & fall
Saturday, January 1, 2022
Friday, December 10, 2021
शनिदेव का सच
श्मशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख स्वयम् चिता में बैठकर सती हो गयीं। इस प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प तड़प कर चिल्लाने लगा।
जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल के गोदों(फल) को खाकर बड़ा होने लगा। कालान्तर में पीपल के पत्तों और फलों को खाकर बालक का जीवन येन केन प्रकारेण सुरक्षित रहा।
एक दिन देवर्षि नारद वहाँ से गुजरे। नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देखकर उसका परिचय पूंछा-
नारद- बालक तुम कौन हो ?
बालक- यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ ।
नारद- तुम्हारे जनक कौन हैं ?
बालक- यही तो मैं जानना चाहता हूँ ।
तब नारद ने ध्यान धर देखा।नारद ने आश्चर्यचकित हो बताया कि हे बालक ! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो। तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी। नारद ने बताया कि तुम्हारे पिता दधीचि की मृत्यु मात्र 31 वर्ष की आयु में ही हो गयी थी।
बालक- मेरे पिता की अकाल मृत्यु का कारण क्या था ?
नारद- तुम्हारे पिता पर शनिदेव की महादशा थी।
बालक- मेरे ऊपर आयी विपत्ति का कारण क्या था ?
नारद- शनिदेव की महादशा।
इतना बताकर देवर्षि नारद ने पीपल के पत्तों और गोदों को खाकर जीने वाले बालक का नाम पिप्पलाद रखा और उसे दीक्षित किया। आगे चलकर पिप्पलाद ने प्रश्न उपनिषद की रचना की,जो आज भी ज्ञान का वृहद भंडार है ।
नारद के जाने के बाद बालक पिप्पलाद ने नारद के बताए अनुसार ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने जब बालक पिप्पलाद से वर मांगने को कहा तो पिप्पलाद ने अपनी दृष्टि मात्र से किसी भी वस्तु को जलाने की शक्ति माँगी।ब्रह्मा जी से वर मिलने पर सर्वप्रथम पिप्पलाद ने शनि देव का आह्वाहन कर अपने सम्मुख प्रस्तुत किया और सामने पाकर आँखे खोलकर भष्म करना शुरू कर दिया।शनिदेव सशरीर जलने लगे। ब्रह्मांड में कोलाहल मच गया। सूर्यपुत्र शनि की रक्षा में सारे देव विफल हो गए। सूर्य भी अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र को जलता हुआ देखकर ब्रह्मा जी से बचाने हेतु विनय करने लगे।अन्ततः ब्रह्मा जी स्वयम् पिप्पलाद के सम्मुख पधारे और शनिदेव को छोड़ने की बात कही किन्तु पिप्पलाद तैयार नहीं हुए।ब्रह्मा जी ने एक के बदले दो वर मांगने की बात कही।
तब पिप्पलाद ने खुश होकर निम्नवत दो वरदान मांगे-
1- जन्म से 5 वर्ष तक किसी भी बालक की कुंडली में शनि का स्थान नहीं होगा।जिससे कोई और बालक मेरे जैसा अनाथ न हो।
2- मुझ अनाथ को शरण पीपल वृक्ष ने दी है। अतः जो भी व्यक्ति सूर्योदय के पूर्व पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाएगा उसपर शनि की महादशा का असर नहीं होगा।
ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह वरदान दिया।तब पिप्पलाद ने जलते हुए शनि को अपने ब्रह्मदण्ड से उनके पैरों पर आघात करके उन्हें मुक्त कर दिया । जिससे शनिदेव के पैर क्षतिग्रस्त हो गए और वे पहले जैसी तेजी से चलने लायक नहीं रहे।
अतः तभी से शनि "शनै:चरति य: शनैश्चर:" अर्थात जो धीरे चलता है वही शनैश्चर है, कहलाये और शनि आग में जलने के कारण काली काया वाले अंग भंग रूप में हो गए।
सम्प्रति शनि की काली मूर्ति और पीपल वृक्ष की पूजा का यही धार्मिक हेतु है।
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