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Thursday, January 25, 2024

ऐसा क्यू है

ए जिंदगी तू इतनी नरक क्यू है                             (स्वर्ग का उल्टा)
हमेशा दिल में रहती एक कसक क्यू है                       (कमी का अहसास)
हर दम कुछ पाने की ठरक क्यू है                           (तीव्र इक्छा)
हाथों से तू रोज थोड़ी जाती सरक क्यू है                      (फिसल)
मेरी हकीकत मेरे सपनों से फरक क्यू है                      (अंतर)
समय, जीवन का सबसे बड़ा हरक क्यू है                    (अपहरण करने वाला , चोर)
दूसरों को देख वैसा बनने की परक क्यू है            (दूसरे शरीर में प्रवेश करने ka भाव)
हर कोई दूसरे की जिंदगी का चरक क्यू है                 (गुप्तचर, जासूस, भेदिया, दूत)
चाय हमेशा लगती फीकी बिन अदरक क्यू है  
आज का शिव केवल मदिरा का धारक क्यू है                     (धारण करने वाला)
काम पड़े सब आधे-अधूरे कोई मिलता नहीं पूरक क्यू है             (पूरा करने वाला)
राम जैसा रत्न जड़ित खोया वो हीरक क्यू है                      (हीरा नामक रत्न)
ढूढने से भी नहीं मिलता हमको कोई तारक क्यू है                  (तारने वाला)
सोशल मीडिया, टीवी , सिनेमा रिश्तों का मारक क्यू है              (मारने वाला)
धर्म जाती जनता में फ़ैला घृणा वितारक क्यू है                    (बाँटने वाला)
हर व्यक्ति बस बन कर बैरी अपना विस्तारक क्यू है               (फैलने वाला)
अब नहीं बनते निस्वार्थ प्यार के अडिग स्मारक क्यू है              (यादगार जगह)
सबको बस हर समय चाहिए उत्साह उर्वरक क्यू है                  (बढ़ाने वाला)
मिल जाते मिट्टी में रिश्ते, जल के छारक क्यू है               (भस्म, राख, खारा नमक)
कोई नहीं है इस दुनिया में रोग निवारक क्यू है                   (निवारण करने वाला)
आज का मानव मैली, कुचली, दूषित दुर्भावना का प्रेरक क्यू है         (प्रेरित करने वाला)
करता नहीं दिल से है कोई कभी मुबारक क्यू है                   (शुभ)
कोई जो सब करे व्यवस्थित नहीं विचारक क्यू है                  (विचार करने वाला)
जनता बदली देश है बदला , स्वयं संहारक क्यू है                  (संहार करने वाला)
जिसको देखो बना है बैठ सबका का सुधारक क्यू है  
नेता, जनता, अभिनेता, सब धर्म प्रचारक क्यू है  
कुर्सी पर बैठा सिर्फ अपने कर्म का प्रसारक क्यू है

Sunday, June 18, 2023

पिता भी जरूरी

बिन कहे जो समझ जाए

बिन मांगे जो दे जाए
हमारी एक मुस्कान पे लूट जाए
हमारे एक आंसू पे बिखर जाए

साथ हो तो सारा जहान अपना
देने पे आए तो आसमान अपना
आशीर्वाद से उसके हर मुकाम अपना
प्यार से महके उसके गुलिस्तान अपना

खुद रहे भूखा की भर दे पेट हमारा
तन पे उसके एक ही कपड़ा, कपड़ो का अंबार हमारा
तमन्नाये अपनी बुझा दी, जला इक्छादीप हमारा
फिक्र नहीं खुद के अंधेरों की, भरे हमारे जीवन में उजियारा

समझने वाले समझ गए होंगे
मैं किसकी बात करता हूं
नहीं दोस्तो भ्रम न करना
मैं आज मां नही, बाप बाप करता हूं

कम नहीं पिता का भी योगदान, हमारे जीवन में
की त्यागा उसने भी है, अपना हर मुकाम जीवन में
मना के मां का दिन हम उसको तबज्जो खूब देते है
चलो आज पिता दिन मना, कमी को दूर करते है।

- अमित कुमार श्रीवास्तव 

Saturday, April 8, 2023

कही अनकही बातें

बात करने से बात बनती है
बिन बात भी बात छनती है
कुछ बात हों तो बात करो
बिन बात कहा बात चलती है
लोग कुछ बात, बातों में नही कह पाते
वही बाते, आगे चल के बातें बनती है।

  - अमित श्रीवास्तव 

Saturday, March 11, 2023

Happy Holi 🥳

Holi Dhamal and Masti 🥰

Youtube Vlog of enjoyments and fun we do and experienced.

https://youtu.be/_6jg5_YCTzI



Happy Holi

Thursday, December 22, 2022

आज की नारी, सब पर भारी

नारी तू है शक्तिशाली, नही किसी से कम
नही अकेली है बलशाली, तुझमें अटूट है दम

तू है दुर्गा, तू ही अंबे, तू है माता काली
सारे जग में नाम करे तू, निडर घूम डाली डाली

कदम से कदम मिला कर चलना, कभी नही तू डरना,
क्या मजाल कोई कुछ भी बोले, जो चाहे वो करना

तू ही माता, तू ही बहना, तू ही बेटी प्यारी
तू ही सिखाए, प्यार करे और सींचे क्यारी क्यारी

पड़े जरूरत डांट के बोल तू, तेज़ आवाज़ में भारी
नही समय अब दबने का है, तू है आज की नारी

कुछ भी तू बन सकती है, तू कुछ भी कर सकती है
तुझमें साहस, तुझमें शक्ति, तुझमें महिमा बसती है

तान के चल तू सीना अपना, सर को नही झुकाना
नई रीत है, नया दौर, नारी का नया जमाना

जीत है तेरी पक्की अब तो, सारी दुनिया हारी 
कर विश्वास निकल रस्ते पे, ठान ले, कर जंग जारी

इंदिरा बन, प्रतिभा बन तू, बन रजिया, लक्ष्मी संहारी 
जान ले अब तू आज की नारी, है तू सब पर भारी


                            अमित कुमार श्रीवास्तव

Friday, October 28, 2022

ज़िम्मेदार

ज़िम्मेदार होना या ज़िम्मेदारी का अहसास होना व्यक्ति के जीवन में बहुत मायने रखता है। आप भाग नही सकते जिम्मेदारियों से या आंख नही चुरा सकते, अगर आप सच में एक जिम्मेदार व्यक्ति है।
आपका अपना काम, समय, पैसा, व्यवहार कोई मायने नहीं रखता आपकी जिम्मेदारियों के सामने।
आपका ऑफिस है छुट्टी ले लो, आपको काम है छोड़ दो, आपको आराम करना है चल पड़ो, आपको खर्च नही करना पर पैसा बहा दो, तबियत खराब है कोई फर्क नहीं पड़ता, समय नही है फिर भी बर्बाद करो, कितना कोई हिसाब नही अगर आप जिम्मेदार है तो, वरना भाग जाओ ऐश करो किसी की कोई जवाबदेही नही, कोई आपसे उम्मीद भी नही रखेगा। जिम्मेदार होने पे उम्मीदें हजारों और पुरस्कार कोई नही, कही कुछ गलत हुआ तो तिरस्कार थाली में सजा के मिलता है।
कुछ लोग खुसनसीब होते है जिनकी जिम्मेदारियां लेने के लिए या साझा करने के लिए उनसे बड़े आगे पीछे रहते है, मेरे साथ तो वो भी नही, किसी का साथ, किसी का हाथ नही, और जो साथ खड़े हो सकते थे, उन्होंने भी बंधन तोड़ दिए, मुंह मोड़ लिए। किसी से कोई ख्वाइश, उम्मीद या आशा नही , जो करना है अकेले, जीना है अकेले। मैं खुश हूं, कोई शिकवा या गिला नहीं अगर मेरे अपने मुझसे दूर रहकर भी खुश है, मजे में है और संतुष्ट है। बड़े होने और जिम्मेदार होने का यही मतलब होता हैं शायद, और मैं, मैं तो जिम्मेदार हूं।

भय ही प्रबल है।

दो उल्लू एक वृक्ष पर आ कर बैठे। एक ने साँप अपने मुँह में पकड़ रखा था।  दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था।  दोनों जैसे ही वृक्ष पर पास-पास आकर बैठे।...