मेरा जीवन मेरी बातें....... अब कहने को बहुत कुछ है... जीवन भी इतना लंबा गुज़ार चुका हू अब तक, पर आप बस उतना ही जाने जितना आप एंजोय कर सके और कुछ उपयोगी, सोचने योग्य तथ्य.
Here Few interesting Moments of my life and some valuable stuff for you all...
Link to My Channel : -
www.youtube.com/channel/UCcUICQLOicH9BB05GD9-5vQ?sub_confirmation=1
Sunday, June 13, 2021
मौसमे जीवन
Thursday, May 20, 2021
मेरा अकेलापन - कोविड गाथा
आज गिन के ठीक 14 दिन (13 मई) बाद मेरे आरोग्य सेतु ऐप्लिकेशन में हरा रंग देखने को मिला, मतलब आप सुरक्षित है। देख कर बहुत अच्छा लगा, एक अलग सी ताज़गी, दिलो, दिमाग़ पे छा गई, बहुत दिनो से वाट्सएप में स्टेट्स नहीं बदला था आज किया। लोगों को बताया , बधाइयाँ क़बूल की, सुकून मिला। पर अभी कुछ दिन और अकेले रहना है सुरक्षा की दृष्टि से।
मेरी कोविड यात्रा शुरू होती है लगभग 10 अप्रैल से, जिस दिन पहली बार अजय का फ़ोन आया, ‘सर मेरी हालत बहुत ख़राब है, मुझे अस्पताल में भर्ती होना है।’ उसकी साँसे उखड़ रही थी, बोल नहीं पा रहा था, मैं परेशान हो गया , क्या किया जाए, किससे बात की जाए, कैसे व्यवस्था होगी। अजय से उसके जानकारो के फ़ोन नम्बर माँगे और बात चीत कर हम व्यवस्था में लग गए, बहुत घूमने , परेशान होने के बाद, क़रीब 7/8 घंटो की भाग दौड़ का फल मिला , रात 11 बजे हम अजय को रॉकलैंड अस्पताल में भर्ती करने में सफल हुए, पहली जीत हमने हासिल कर ली थी।
पर अभी परीक्षा लंबी थी, 11 अप्रैल को अजय का कोई हालचाल नहीं मिला, अजय की पत्नी को भी नहीं पता था , सो 12 की सुबह मैं अस्पताल गया और वहाँ से खोज खबर ले कर सबको बताया, ये मेरा पहला आवागमन था अस्पताल में। फिर बाद में अजय से भी बात हुई, स्थिति में सुधार था, उसे आज ही शायद ICU से साधारण वार्ड में डालने वाले थे, सुन कर अच्छा लगा। अजय के घर में अन्य सभी भी करोना से ग्रसित थे, पर स्थिति क़ाबू में थी।
13 को फिर कोई खबर नहीं मिलने से अजय की पत्नी परेशान हो गई और मुझे आग्रह किया की मैं जाकर पता करूँ, अतः 14 की सुबह मैं फिर से अस्पताल गया, मगर इस बार मुझे रिसेप्शन से कोई जानकारी नहीं मिली, सो मुझे अजय की चिकित्सक से मिलने का सूछाव दिया रिसेप्शनिस्ट ने, मैं डॉक्टर उपाली नन्दा से मिलने उनके कमरे में गया और अजय की खोज खबर ले कर आया, साथ ही ये डाँट भी सुन के आया की ‘फ़ोन पे पता करिए, बार बार आकर खुद क्यू ख़तरा मोल ले रहे है’, पर मैं असमर्थ था, जब कोई खबर नहीं मिली तभी तो मजबूरन मुझे अस्पताल जाना पड़ा था।
मैं बाहर आया और अजय की पत्नी को बताया, पर यहाँ तो स्थिति और ख़राब होने वाली थी, अब जो पहले अजय की हालत थी वही उसकी पत्नी की, वो बोल नहीं पा रही थी, लग रहा था बेहोशी की हालत में है, साँसे उखड़ रही थी, उसने बस इतना कहा, मुझे भी अस्पताल में अड्मिट होना है, और मैं सन्न रह गया, बस इतना बोल पाया ‘चिता मत करो मैं करता हूँ कुछ, हौसला बनाए रखो तब तक’।
क्या किया जाए, किससे बात की जाए फिर अजय के भाईसाहब ‘निर्मल’ जी का ख़्याल आया, उनको फ़ोन किया, उन्होंने कहा ‘आप अस्पताल पे हो तो वही बात करो, मैं भी आता हूँ , एक जानकार है उससे कुछ जुगाड़ करते है।’, मैं सबसे पूछताछ में लग गया पर कोई बात बन नहीं रही थी, सब वही झूठा अस्वासन देने में लगे थे, स्थिति बहुत ख़राब थी, कई फ़ोन नम्बर लिए दिए, बात की पर सब बेकार, इतने में निर्मल जी आ गए, एक से दो हुए तो थोड़ा हौसला मिला, थोड़ी उम्मीद जगी। उन्होंने जानपहचान वाले से मुलाक़ात की, कुछ आशा बंधी, इस उम्मीद में कि अब बेड मिल जाएगा हमने अजय की पत्नी ‘लिपि’ को अस्पताल लाने की व्यवस्था करनी शुरू की, निर्मल जी ने अपनी पत्नी से बात कर एम्बुलेंस मँगवाई क्यूँकि अस्पताल हमें नहीं दे पा रहा था। निर्मल जी अस्पताल पर रुके और मैं अजय के घर की तरफ़ चला , एम्बुलेंस को रास्ता बताने।
काफ़ी मसक्कत और फ़ोन बाज़ी के बाद एम्बुलेंस घर पहुँची और हम लिपि को अस्पताल ले आए, अब बाक़ी की प्रक्रिया, ताम झाम, लिपि को कोविड था पर रिपोर्ट नहीं थी सो टेस्ट हुआ रिपोर्ट आने और अड्मिट होने में सुबह के 10 से शाम के 5 बज गए, आखिर वो वार्ड में गई और हम दोनो अपने अपने घरों को, पूरे दिन की मरामारी और आख़िरी सफलता के बाद।
रात को अजय का फ़ोन आया की अस्पताल पैसों की माँग कर रहा है, मैंने ऑनलाइन भेजने की बहुत कोशिश की पर नहीं कर पाया अतः अगले दिन सुबह 15 अप्रैल को मैंने अस्पताल जाके 50 हज़ार रुपए जमा करवाए, और एहतियातन निर्मल भाई को फ़ोन कर दिया इस व्यवस्था के बारे में , क्यूँकि अभी तक सारा पैसों का हिसाब उन्होंने ही रखा था। फिर से एक गाज़ गिरी जब उन्होंने बताया ‘अजय की माता जी को भी अड्मिट करना है, उनकी भी हालत ख़राब हो रही है, आप अस्पताल में हो तो व्यवस्था करो, मैं जब फ़ाइनल हो जाएगा तो आऊँगा, माता जी को ले के’।
अब क्या किया जाए, कैसे किया जाए, मैं अकेला पड़ गया, कपिल से बात की वो भी आने को तैयार हो गया और मैं व्यवस्था में लग गया, इमेरजेंसी में कई बार गया और चिकित्सक से बात की, ऑफ़िस में जाके बात की, डीलर से बात की, जानकर से बात की जिसने कल व्यवस्था की थी, पर कही से कुछ नहीं हुआ, आज अस्पताल की हालत कल से बहुत जादा ख़राब थी, डर मुझे अंदर तक हिला रहा था, पर मजबूर हालत मुझेसे सब कुछ करवा रहे थे। भाई साहब को बोला तो उन्होंने कहा ठीक है आप रुको मैं भी कोशिश करता हूँ, तब तक कपिल आ गया , मैंने अपना डर कपिल से भी साझा किया कि आज स्थिति बहुत ख़राब और दयनीय है।
कुछ देर हमने बातें की और फ़ोन का इंतज़ार, फिर निर्मल भाई ने बोला की हम घर पर ही ऑक्सिजन की व्यास्था करते है और माताजी को वही रखते है। अतः मैं और कपिल घर को निकल गए, आज भी क़रीब 3/4 घंटे मुझे लगे अस्पताल में , आकर नहाया, गरम पानी पिया, सब कुछ किया पर डर को मन से ना निकल पाया, अतः अपना बिस्तर अलग कर लिया और ज़मीन पे सोने लगा, उसी दिन से।
निर्मल भई से बात हुई, अजय का भाई और साला आ रहे है, देखभाल करने, फिर अगले दिन पता चला वो लोग सबको उड़ीसा ले जा रहे है, लिपि को भी ICU मिल गया, फिर अजय नोर्मल वार्ड में आ गया, लिपि की हालत बहुत ख़राब थी, शुगर की समस्या के चलते , पर धीरे धीरे वो भी सुधर गई और दोनो अस्पताल से निकल, कुछ दिन आराम कर उड़िशा के लिए निकल गए। ये सब चल रहा था साथ ही साथ इन्हीं दिनो में मेरी तबियत आखिर बिगड़ ही गई, जिसका अंदेशा था वही हुई, फिर भी मन भरोसा नहीं कर रहा था, लगा अभी भी वाइरल बुख़ार ही है, रोज़मर्रा वाला।
बात 24 अप्रैल रात की है, हम मूवी देख रहे थे, नीचे से देखने में दिक़्क़त के चलते, बच्चों ने मुझे ऊपर बुला लिया, मैं भी काफ़ी दिनो से कुछ हुआ नहीं था सो थोड़ा निडर हो गया था , ऊपर आ गया और मूवी देखी, AC भी चल रहा था, जो की आज मूवी के कारण कुछ जादा देर चल गया। अंततः मुझे कँपकँपी सी होने लगी और सुबह होते होते बुख़ार आ गया, बुख़ार 100.5 था तो मैंने पैरसीटमोल खा ली , दो दिन बुख़ार रहा, फिर ठीक हो गया , मुझे लगा वाइरल था, पर शरीर में ज़ोरों का दर्द होने लगा, मैं रात भर सो नहीं पाया, अभी भी मास्क मेरे मुख पर 24 घंटे लगा था, दिन में बच्चों से दबवाया तो थोड़ा आराम मिला, दवा खाई और सो गया। 27, 28 अप्रैल तक गला भी ख़राब हो गया, जो की आम बात थी मेरे लिए, अक्सर हो जाता है मेरे साथ, शरीर का दर्द चला गया, गले में थोड़ी ख़राश थी पर मैं ठीक था। सबने कहा मास्क हटा के सोईए तो ठीक लगेगा, ज़बरदस्ती मास्क 24 घंटे लगाए रहते है, मैंने बात मान ली और रात अच्छी गुज़री।
29 अप्रैल की सुबह मैं बहुत हल्का महसूस कर रहा था, लगा सब ठीक हो गया, बच्चों से काफ़ी दिन से दूरी थी सो अब बस, उनको पास बुलाया, प्यार किया और अच्छे मूड में था, तभी झटका लगा।
सुबह सुबह मैं बच्चों को बोलने नहीं देता, नहीं मैं बोलता हूँ, बस लिपटो चिपटो फिर मंजन करो तब बोलो, रात भर सोने के कारण सुबह मुँह से थोड़ी बदबू आती है सभी के सो, पर बच्चे कहा मानते है, बोलते रहते है, पर आज मुझे उनके मुँह से कोई बदबू नहीं आइ, मैं थोड़ा अचंभित और खुश हुआ, पर ये ख़ुशी तुरंत शंका में बदल गई, मैंने आकांक्षा को बताया और परफ़्यूम छिड़क के सूंघा पर कोई सुगंध नहीं, प्याज़, चाई की पत्ती, मसाले और बहुत कुछ जहां से भी सुगंध या बदबू आ सकती थी, पर सब असफल, मेरी सूंघने की शक्ति जा चुकी थी, दिमाग़ ठनका, अब जादा रिस्क लेना ख़तरा था सो मेरा दिमाग़ चलने लगा।
मैं तुरंत नहाधो कर तैयार हुआ और मम्मी को ले के पूरे अहतियात के साथ चरकपालिका गया, उनको वैक्सीन की दूसरी खुराक दिलवाने, अब ये सही था या नहीं इस पर सबके मत अलग अलग है, पर मुझे जो सही लगा मैंने किया, और आज की तारीख़ में मुझे अपने फ़ैसले पे नाज़ है, मैं सबसे पहले उन्हें सूर्क्छित करना चाहता था। वही पर मैंने अपना टेस्ट भी करवाने की सोची, पर भीड़, समय और मम्मी की सुरक्षा के चलते वापस आ गया। पुनः गया अपना टेस्ट करवाया और लौटते हुए सभी दवाइयाँ जो करोना में खाई जाती है , ला कर खानी शुरू कर दी।
अब वही रोज़ की कहानी , दवा, गरम पानी, काढ़ा, गरारा, फ़ोन, टैब्लेट, किताब, योगा, आराम, नींद, भाप लेना, प्रोनिंग करना, ताप नापना, ओक्सिमिटेर से ऑक्सिजन चेक करना, पूरा दिन बस इंही कामों में निकलने लगा, फिर भी एक डर हमेशा किसी कोने में रहता की कही हालत जादा ख़राब हो गई तब क्या होगा, कही घर में किसी और को हो गया तब क्या होगा, राम राम करते करते एक एक दिन खिसकने लगा।
3 मई को मेरी रिपोर्ट आनी थी पर नहीं आइ, शाम होते होते फ़ोन आया की आपने टेस्ट करवाया है, सो डॉक्टर आपसे बात करेंगे अगर आप इस नम्बर पर उपलब्ध है तो 1 दबाए, मैंने दबा दिया। रात में मेरा आरोग्य सेतु ऐप्लिकेशन लाल हो गया , ये लिख के की आप करोना संक्रमित है। एक अजीब सा डर और आ गया जिसने मुझे सारी रात सोने नहीं दिया, मैं कितना ही अपने आपको मज़बूत क्यू ना दिखाऊ पर अंदर से मैं पूरा हिला हुआ था। फिर मन को समझाया की अभी रिपोर्ट नहीं आइ है, शायद ग़लत हो, तो बड़ी मुश्किल से सुबह कुछ देर आँख बंद कर पाया।
मेरी ये असमंजस और खुद को झलावे की स्थिति जादा देर नहीं रही क्यूँकि 4 मई को मेरी रिपोर्ट पॉज़िटिव आ ही गई, अब स्थिति चिंताजनक थी, मेरे लिए भी और मेरे सभी शुभचिन्तको के लिए भी, पर परिवार के लिए हौसला बना के रखना था, साथ ही जैसा सुनने में आया था कि ये बीमारी कमजोर दिल पे जादा असर डाल रही है, सो उसको भी ध्यान में रख के आगे बढ़ना था।
मॉनिटरिंग चार्ट बन गए, हर 3/4 घंटे पर, दवाई की सारी डिटेल, कोविड की सारी जानकारी पता करना, दुःखी और निराश करने वाली ख़बरों से दूरी जो की संभव नहीं था फिर भी कोशिश करना। असमंजस को दूर करने के लिए 6 मई की चिकित्सक से ऑनलाइन मीटिंग, सभी से बातें, दोस्तों रिश्तेदारों से शुभ समाचार और जल्दी ठीक होने की दुआओ, बिना सोई रातों, मन को इधर उधर बहलाने का सिलसिला चल पड़ा। दिन रात यूँ ही गुज़ारने लगे।
भगवान का बहुत शुक्र था की मेरी तबियत जादा ख़राब नहीं हुई और दिन पर दिन बस गुज़रते गए, थोड़े बहुत भावनाओं का ऊपर नीचे रहा पर सब कुछ हमारे हाथ में था। खुद को व्यस्त रखने के लिए मैं ऑफ़िस के काम में भी जहां ज़रूरत पड़ी संलग्न रहा, दिन गुज़रते गए और यू ही एक दिन 13 मई को मेरा आरोग्य सेतु हरा हो गया, बड़ी राहत की बात थी पर अहतियात के तौर पर मैंने अपना आइसोलेशन जारी रखा।
उपरोक्त लिखित बातों की शुरुआत मेरी आरोग्य सेतु की स्थिति बदलने के बाद से ही मैंने लिखना शुरू किया था, जिसको लिखते लिखते आज मैं 19 मई तक पहुँच गया हूँ।
अभी भी मेरी खाँसी ठीक नहीं हुई है, परिवार का डर अभी भी है , सो जैसे मेरा सेतु हरा हुआ, मेरी पहले प्राथमिकता आकांक्षा को टिका लगवाना थी, सो 15 मई को बुक कर 16 मई को आकांक्षा को टिका लगवा दिया। मन अब शांत है, पर इतनी दुर्घटनाएँ हो चुकी है की दिल अभी भी डर हुआ है। रोज़ नई बात, नई बुरी खबर ही सुनने को मिलती है, सब कुछ ठीक होने पर भी कही कुछ ग़लत ना हो जाए की आशंका हमेशा घेरे रहती है, सो आज मैंने बाक़ी के टेस्ट भी बुक कर दिए है की ये पता चले की वाइरस ने मेरे शरीर में और कितना नुक़सान किया है, कही बाद में कुछ दिक़्क़त ना हो जाए। आइसोलेशन अभी 23 मई तक जारी रहेगा।
भगवान से बस यही प्रार्थना है जैसे अभी तक रक्षा की है आगे भी करे , सभी लोग स्वस्थ रहे और जो बीमार है जल्दी स्वस्थ हो परिवार संग ख़ुशहाली से रहने लगे, ये महामारी जड़ से ख़त्म हो जाए। जल्दी सभी वैक्सिनेटेड हो जाए, सरकार और जनता में सामंजस्य बना रहे, सब कुछ पहले की तरह नोर्मल हो जाए। 🙏🙏
Friday, May 7, 2021
मैं भी पॉज़िटिव हूँ….
काढ़ा, ग़रारा, हल्दी, अदरक
दवाई, योगा , हाथ धो, मुँह बंद रख,
भाप ले, ऑक्सिजन चेक कर
ताप नाप, प्रोनिंग, उल्टा लेट कर,
14 दिन का बनवास है
कैकेयी नहीं , करोना का शाप है,
अछूत हुए, मलिक्च हुए, और हुए बदसूरत
कुत्तों जैसे खाना पाकर, अपनो से ही हुए विरक्त,
खाँस खाँस कर छाती फट गई
नहीं सुगंध और स्वाद की लग गई,
हाय करोना अब तो बस कर
दुनिया को , तेरे साये से मुक्त कर।।
(Home Isolation - Day 9)
Sunday, November 29, 2020
कोई अपने घर में दिया यूँ जलाये
Friday, September 18, 2020
Tuesday, September 15, 2020
भय ही प्रबल है।
दो उल्लू एक वृक्ष पर आ कर बैठे। एक ने साँप अपने मुँह में पकड़ रखा था। दूसरा एक चूहा पकड़ लाया था। दोनों जैसे ही वृक्ष पर पास-पास आकर बैठे।...
-
On 15 August 1947, India attained freedom from the British Rule. Every year, August 15 is celebrated as the Independence Day in India. Th...
-
Holi Dhamal and Masti 🥰 Youtube Vlog of enjoyments and fun we do and experienced. https://youtu.be/_6jg5_YCTzI Happy Holi
-
बात करने से बात बनती है बिन बात भी बात छनती है कुछ बात हों तो बात करो बिन बात कहा बात चलती है लोग कुछ बात, बातों में नही कह पाते वही बा...